क्या है कम्प्युटर विजन सिंड्रोम(Computer Vision Syndrome) जाने इस बीमारीके बारे में? Digital Eye Strain.

Published by Aahar Chetna on

computer vision syndrome

COMPUTER VISION SYNDROME :  आजकल हर कोई स्क्रीन पर ज्यादा देर तक समय बिता रहा है। मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी जैसे गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल कंप्यूटर विजन सिंड्रोम कहलाता है। बच्चों और किशोरों में यह समस्या आम हो गई है. ज्यादा देर तक स्क्रीन पर बिताने के बाद आंखों में यह समस्या हो जाती है.  अगर हर दिन दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर समय बिताने वालों को यह समस्या ज्यादा होती हैकंप्यूटर विजन सिंड्रोम आमतौर पर दृष्टि से संबंधित लक्षण पैदा होते हैं, जो आमतौर पर आंखों को आराम देने पर ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कई बार कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का इलाज कराना जरूरी होता है और ऐसा न करने पर कुछ मामलों में लक्षण लगातार गंभीर होते रहते हैं और व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम क्या है ? What is computer vision syndrome?

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COMPUTER VISION SYNDROME  जिसे डिजिटल आई स्ट्रेन के रूप में भी जाना जाता है, कंप्यूटर, मोबाइल फोन या अन्य डिजिटल उपकरणों के लंबे समय तक उपयोग से होने वाली आंख और दृष्टि संबंधी समस्याओं का वर्णन करता है। दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ वयस्क ही इस चिंता का सामना नहीं कर रहे हैं; यहां तक ​​कि जो बच्चे टैबलेट और गेमिंग उपकरणों का उपयोग करते हैं उनमें कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम(COMPUTER VISION SYNDROME) के लक्षण दिखाई देते हैं। 

महामारी के दौरान सभी आयु समूहों में फोन और लैपटॉप जैसे डिजिटल उपकरणों का उपयोग बढ़ गया है। मनोरंजन, काम या रिश्तेदारों और दोस्तों से जुड़े रहने के लिए डिजिटल उपकरणों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान आभासी शिक्षा के कारण बच्चों में आंखों पर तनाव बढ़ रहा है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण(Symptoms of Computer Vision Syndrome)

लगातार स्क्रीन को देखते रहना और पलकों को बंद न करने से आंखों मं पानी आ सकता है। लैपटॉप-कंप्यूटर का इस्तेमाल करते वक्त अगर आप सही तरह से नहीं बैठते हैं तो कमर और गर्दन में दर्द होने के साथ ही आंखों में भी समस्याएं होने लगती है। इसलिए ब्रेक की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर स्क्रीन पर नजर गड़ाने की बजाय पलकों को झपकाते रहना चाहिए। इसकी वजह से कंप्यूटर विजन सिंड्रोम हो जाता है।

कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से आमतौर पर आंखों से जुड़े लक्षण पैदा होते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्न शामिल हैं 

  • आंखों पर जोर पड़ना
  • सिर दर्द
  • धुंधला दिखना
  • आंखों में सूखापन
  • आंखों में दर्द व जलन
    • गर्दन और कंधे में दर्द
    • निकट दृष्टि दोष
    • पीठ और कमर में दर्द
    • दोहरा दिखाई देना (दोहरी दृष्टि)
    • आंखों में खुजली
    • अधिक आंसू आना

    कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कारण(causes of computer vision syndrome)

    कंप्यूटर विजन सिंड्रोम लंबे समय तक  डिजिटल स्क्रीन के उपयओग  करने से होता है। इसलिए इसे डिजिटल  आई स्ट्रेन के नाम से जाना जाता है। डिजिटल स्क्रीन के अधिक इस्तेमाल  के कारण व्यक्ति की आंखो को ज्यादा मुस्किल काम करना पङता है। ऐसे में कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के लिए कई कारण ज़िमेदार हैं, जीनमें समिल है।

    • स्क्रीन से निकलने वाले ग्लेयर (चमक)
    •  रोशनी की कमी।
    • आंखों और स्क्रीन के बीच पर्याप्त दूरी न होना।
    • बैठने की मुद्रा ठीक न होना।
    • दृष्टि संबंधी किसी समस्या का इलाज न हो पाना।
    • स्क्रीन को देखते हुए पर्याप्त रूप से पलक न झपकना ।

    कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम का इलाज और बचाव कैसे करें।

    डिजिटल आई स्ट्रेन से बचाव का सबसे पहला तरीका है उन स्थितियों और कारणों की पहचान करना जिसके कारण कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम की समस्या का प्रभाव हो रहा है। इस स्थिति का जितनी जल्दी पता लगा लिया जाएगा उतनी ही आसानी से डिजिटल आई स्ट्रेन से होने वाली समस्या से बचा जा सकता है। इस समस्या की पहचान में देरी का मतलब है कि इसके लक्षण और गहरे होते जाएंगे और उपचार में ज्यादा दिक्कत होगी।

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    इस समस्या के उपाय और रोकथाम के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें।

    • कंप्यूटर स्क्रीन पर एंटी ग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल करें
    • कंप्यूटर स्क्रीन को आँखों के लेवल से 15-20 डिग्री नीचे रखें
    • सही पोजीशन में बैठ कर काम करें
    • 20-20-20 नियम का पालन करें; हर 20 मिनट के बाद 20 फीट दूर कुछ देखने के लिए कम से कम 20 सेकंड
      का ब्रेक लें
    • कंप्यूटर की स्क्रीन चेहरे से 20-25 इंच दूर रखें। यह सबसे उचित दूरी मानी जाती है।
    • बार-बार आँखों की पलक झपकाने का प्रयास करें। पलक झपकने से आपकी आँख की सतह नम रहती हैं
    • कंप्यूटर पर काम करते हुए कम से कम हर 2 घंटे में 10 मिनट का ब्रेक लेते रहें।

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