वात और उससे होने वाले रोग- Vaat Rog Kya hota hai
Vaat Rog Kya hota hai
वात या वायु तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। वात की विकृति से सबसे अधिक रोग होते हैं। वात सबसे पहले दूषित होता है। दूषित पित्त और कफ को भी वात ही विभिन्न अंगों में ले जाता है। इसलिए वात को सदैव नियंत्रित रखना चाहिए।
वात का संबंध मन से है। इसलिए समय पर ध्यान न देने पर शारीरिक रोग उग्र मानसिक रोगों में और मानसिक रोग उग्र शारीरिक रोगों में परिवर्तित हो सकते हैं।
जोड़ों में दर्द, जोड़ों में कट कट की आवाज करना, अंगों में वायु का भरा होना, पेट फूलना, अपान वायु, डकार या हिचकी, अनियमित भूख या प्यास, मुंह का सूखना, आवाज का कर्कश होना, स्वाद कसैला होना, मल-मूत्र या पसीना कम आना, नींद न आना, जम्हाइयां (उबासी), कब्जियत, सुस्ती, थकान, पक्षाघात (लकवा), गठिया, वायु का गोला उठना, वात ज्वर होना, बहरापन, शरीर का रुखा-रुखा होना, शरीर का सूखना या दुर्बल होना, अंगों की शिथिलता, सुन्नता और शीतलता, अंगों में कठोरता और जकड़ जाना, पैरों की बिवाइयां, होंठ का फटना, हथेलियों का फटना, नाखून व केश का कड़ा होना, हाथ, पैर, गर्दन आदि का कांपना व फड़फड़ाना, अंगों में व नाड़ियों में खिंचाव होना, झटका लगने, मसलने, काटने, तोड़ने या सूई चुभने जैसी पीड़ा होना और स्नायु संस्थान के रोग।
वात प्रकोप ऋतु
वर्षा बादल होने पर, पूर्वी हवा चलने पर, ऋतु संधिकाल में
वात नाशक ऋतु
शरद, ऋतु
दिन के प्रथम प्रहर मे वात का जो रहता है।
पथ्य आहार
परवल, बथुआ, लौकी, तेल में पकाये प्याज और मूली, चौलाई, गाजर, सहजन की फली। अंगूर, नारंगी, फालसा, शहतूत, पके आम, मीठा अनारअखरोट, बादाम, अंजीर, मुनक्का, खजूर सोंठ, हींग, अजवाइन, मेथी दाना, पीपर, दालचीनी, इलायची, जायफल, सेंधा नमक, एरण्ड तेल हरडे, बेल, गिलोय, अश्वगंधा, शतावरी।
अपथ्य आहार
मूली, पालक, चीनी (शक्कर), मादक व उत्तेजक पदार्थ (चाय, कॉफी, धूम्रपान, शराब, ड्रग्स) ठंडी वस्तुएं, बासी भोजन, शाही चावल, जौ चने का साग, चने, मोठ, मसूर, अरहर, फूलगोभी, मटर, सेम, मैदे से बनी वस्तुएं, डिब्बाबंद आहार, फास्ट फूड (पिज़्ज़ा, बर्गर, चौमिन आदि), आइसक्रीम, शीतल पेय (कोल्ड ड्रिंक्स आदि)
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