हार्ट अटैक के कारण, लक्षण और निवारण (Reasons for Heart Attack, Causes and Prevention)
हार्ट अटैक के कारण, लक्षण और निवारण (Reasons for Heart Attack, Causes and Prevention)
आज के अपने इस लेख में हम हार्ट अटैक से संबंधित एक महत्वपूर्ण चर्चा करेंगे। आइए सबसे पहले हम देखते हैं कि हार्ट अटैक क्या होता है?
हार्ट अटैक या हृदयाघात
जब शरीर की नसों में खून का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता है तो ऐसे में खून जमने की समस्या या क्लॉटिंग होना शुरू हो जाती है। इस क्लॉटिंग की वजह से खून हृदय तक पहुँचने में असमर्थ होता है। इसी के साथ हृदय को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है। यह स्थिति हार्ट अटैक की होती है।
एक हार्ड अटैक की स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकती है लेकिन यदि तुरंत उपचार मिल जाए तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है।
हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण
1.) कोल्ड स्वैट (शरीर से पसीना आता है लेकिन ठंड भी लगती है।)
2.) थकान महसूस होती है
3.) साँस लेने में परेशानी होती है
4.) शरीर का भार कम महसूस होता है
5.) चक्कर आते हैं
6.) बाएँ हाथ में दर्द होता है
7.) उल्टी महसूस होती है
8.) अपच की समस्या भी हो सकती है
9.) सीने में जलन होती है
हर व्यक्ति में हार्ट अटैक के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में हार्ट अटैक के समय काफ़ी तेज़ दर्द होता है तो वहीं कुछ लोगों को हार्ट अटैक के दौरान दर्द कम होता है। कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि हार्ट अटैक से पहले किसी व्यक्ति के बाएँ हाथ में दर्द शुरू हो जाता है।
ऐसा भी देखा गया है कि कुछ लोगों को हार्ट अटैक से पहले अचानक से सीने में दर्द उठता है जो आराम करने पर ख़त्म हो जाता है। इसी तरह कुछ लोगों को कुछ घंटे, कुछ दिन पहले या कुछ हफ़्ते पहले से ही हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई देते हैं। सीने में दर्द का कारण रक्त के प्रवाह में आयी कमी होती है
हार्ट अटैक का प्रमुख कारण नसों में रक्त का ज़मना होता है। ब्लड क्लॉटिंग एक ख़तरनाक समस्या है जो हार्ट अटैक को जन्म दे सकती है। इसके साथ साथ हार्ट अटैक की कुछ निम्न कारण हो सकते हैं जिनसे हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।
1.) अधिक उम्र
हार्ट अटैक का एक कारण अधिक उम्र भी हो सकती है। पुरुषों में 45 साल से अधिक तथा महिलाओं में 55 साल से अधिक की उम्र में हार्ट अटैक या ह्रदयाघात की संभावना बढ़ जाती है।
2.) मानसिक स्थिति
जी हाँ, ये बात भले ही सुनने में थोड़ी सी अजीब लगे लेकिन मानसिक स्थिति के कारण भी हृदय को नुक़सान पहुँच सकता है। कई मामलों में डिप्रेशन या तनाव के चलते भी हार्ट अटैक की समस्या देखने को मिलती है।
3.) तम्बाकू या धूम्रपान
जो लोग तंबाकू का सेवन करते हैं या फिर वे सिगरेट के द्वारा धूम्रपान करते हैं तो ऐसे में उन्हें हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है। लंबे समय तक सेकेंड हैंड स्मोक अर्थात सिगरेट पीने वाले के द्वारा छोड़े गए धुएं के संपर्क में रहने से हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।
4.) मोटापा
मोटापा ना सिर्फ़ हार्ट अटैक को ही जन्म देता है बल्कि इसके साथ ही ये व्यक्ति को अवसाद और अन्य बीमारियां भी देता है। दरअसल हमारे शरीर में फ़ैट या वसा की एक उचित मात्रा होना ही ज़रूरी है। जब हम कोई चीज़ खाते हैं तो उसमें से फ़ैट हमारे शरीर में आता है। कई बार ये फ़ैट अधिक होने के कारण शरीर में जमा होने लगता है।
5.) उच्च रक्तचाप
हमारे शरीर में होने वाली समस्त प्रक्रियाएं सामान्य ही होनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर हमारी नसों में रक्त का प्रवाह एक निश्चित गति से होता है और यह निश्चित ही होना चाहिए। यदि नसों में रक्त का प्रवाह धीमा या ज़्यादा हो जाता है तो ऐसे में हृदय रोग की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है।
6.) मेटाबोलिक सिंड्रोम
जब कोई व्यक्ति मोटापे, हाई ब्लडप्रेशर और हाई ब्लड शुगर (उच्च रक्त वसा) की समस्या से लगातार जूझ रहा होता है तो इस स्थिति को मेटाबोलिक सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। यह स्थिति भी हार्ट अटैक के ख़तरे को बढ़ाती है।
7.) पारिवारिक इतिहास
यदि परिवार के किसी सदस्य को पहले कभी हार्ट अटैक आया हो तो ऐसे में अगली पीढ़ी में के लोगों में हार्ट अटैक की संभावना काफ़ी बढ़ जाती है वैसे तो पारिवारिक इतिहास के चलते हार्ट अटैक के ख़तरे की संभावना को व्यक्त किया जाता है लेकिन यदि व्यक्ति अपना ख़याल रखें तो ऐसे में वो इस ख़तरे से बच सकता है।
8.) फ़िटनेस की कमी
जैसा कि हम ने बताया कि शरीर में वसा के जमाव के कारण हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है। यदि आप अपने आहार में कैलोरी की अधिक मात्रा लेते हैं और इसके बावजूद फ़िटनेस या कोई अन्य शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं तो ऐसे में हार्ट अटैक का ख़तरा काफ़ी बढ़ जाता है।
9.) अन्य कारण
इसके अलावा ज़्यादा मात्रा में शराब का सेवन, किसी प्रकार की दवाई का सेवन, नशे की लत इत्यादि से भी हार्ट अटैक का ख़तरा बढ़ सकता है।
हार्ट अटैक से बचने के लिए–
1.) शरीर में दिख रहे किसी भी प्रकार के कोई भी लक्षण को अनदेखा न करें।
2.) यदि आपके शरीर में किसी भी जगह पर कोई दर्द या सूजन हो तो ऐसे में तुरंत इसका उपचार करवायें। सीने में दर्द या जलन तथा बाएँ हाथ में लगातार दर्द होने पर डॉक्टर के पास जाएं।
3.) अपने आहार में अच्छी चीज़ों को शामिल करें। आहार को संतुलित रखें। ज़्यादा कैलोरीयुक्त भोजन न करें। प्रतिदिन फल तथा जूस का भी सेवन करते रहें।
4.) फ़िटनेस पर ध्यान दे। शरीर पर अतिरिक्त वसा को जमने ना दें। जितना हो सके पैदल चलने की कोशिश करें।
5.) नकारात्मक विचारों को स्वयं से दूर रखें। यदि आपको किसी प्रकार का डिप्रेशन या तनाव है तो उससे छुटकारा पाने की कोशिश करें।
6.) किसी भी प्रकार की समस्या होने पर सिर्फ़ डॉक्टर के परामर्श को ही अपनाएं। इधर उधर से जानकारी एकत्र करके उसे स्वयं पर लागू ना करें। यह ख़तरे से ख़ाली नहीं है।
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