नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण, लक्षण और इलाज – Nephrotic Syndrome in Hindi
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण, लक्षण और इलाज – Nephrotic Syndrome in Hindi
आजकल लोगों को कई तरह की बीमारियां होने लगी हैं, जो शारीरिक परेशानी के साथ ही मानसिक चिंता भी देती हैं। ऐसी ही एक समस्या नेफ्रोटिक सिंड्रोम भी है। यह परेशानी कई सारे कारणों से हो सकती है और फिर धीरे-धीरे अन्य बीमारियों को जन्म देती है। ऐसे में समय रहते नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज कराना जरूरी है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण के साथ ही नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण और इलाज की जानकारी दे रहे हैं।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है – What is Nephrotic Syndrome in Hindi
नेफ्रोटिक सिंड्रोम कई लक्षणों का समूह है। इसमें पेशाब में अधिक प्रोटीन निकलना, रक्त में प्रोटीन का निम्न स्तर, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च ट्राइग्लिसराइड, रक्त के थक्का जमने का जोखिम और सूजन की समस्या शामिल है। यह सिंड्रोम किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली कई तरह की बीमारियों के कारण हो सकता है। किडनी को नुकसान पहुंचने पर पेशाब के माध्यम से अधिक मात्रा में प्रोटीन निकलता है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण – Symptoms of Nephrotic Syndrome in Hindi
नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या होने पर कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण कुछ इस तरह हैं:
- सूजन, यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकती है
- त्वचा पर लाल चकत्ते या घाव होना
- पेशाब का झागदार दिखाई देना
- भूख कम लगना
- वजन का बढ़ना
- दौरे पड़ना
नेफ्रोटिक सिंड्रोम से होने वाली जटिलताएं – Complications of Nephrotic Syndrome in Hindi
नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज समय रहते किया जाए, तो इससे होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। इससे होने वाली जटिलताएं कुछ इस प्रकार हैं:
- एक्यूट किडनी फेलियर
- धमनियों का सख्त होना और हृदय संबंधित रोग बढ़ना
- क्रोनिक (लंबे समय तक) किडनी संबंधी बीमारी
- शरीर में फ्लूइड यानी द्रव का बढ़ना, हार्ट फेल होना, फेफड़ों में द्रव का निर्माण होना
- इंफेक्शन, जैसे- श्वसन नली में होने वाली सूजन (न्यूमोकोकल निमोनिया)
- कुपोषण का शिकार होना
- ब्लड क्लॉट, जो थ्रोम्बोसिस (नस में रक्त के थक्के जमने) का कारण बन सकता है
- उच्च रक्तचाप की समस्या
नेफ्रोटिक सिंड्रोम में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं – Diet in Nephrotic Syndrome in Hindi
नेफ्रोटिक सिंड्रोम को बढ़ाने और कम करने में खाद्य पदार्थ की भी अहम भूमिका हो सकती है। इसी वजह से सही खान पान जरूरी है। कुछ लोग खानपान को नेफ्रोटिक सिंड्रोम का आयुर्वेदिक इलाज भी मानते हैं। ऐसे में हम नीचे नेफ्रोटिक सिंड्रोम में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, ये बता रहे हैं:
क्या खाना चाहिए :
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम की स्थिति में विटामिन डी से समृद्ध आहार, जैसे- टूना, सैल्मन मैकेरल मछली और मशरूम ले सकते हैं।
- इस समस्या में कम फैट, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम और कम प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों को अच्छा माना जाता है।
- नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति आहार विशेषज्ञ की सलाह पर हरी सब्जी, फल और जूस का सेवन कर सकते हैं।
क्या नहीं खाना चाहिए :
- इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अधिक सोडियम वाले खाद्य पदार्थ, जैसे- नमक, दूध, चुकंदर और अजवाइन आदि के सेवन को कम करना चाहिए।
- अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे- मांस, डेयरी उत्पाद, नट्स, अनाज और बीन्स का उपयोग कम करें।
- उच्च फैट और कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ का सेवन कम करें। इन खाद्य पदार्थ में अंडे की जर्दी, मांस और चीज़ शामिल हैं।
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