नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण, लक्षण और इलाज – Nephrotic Syndrome in Hindi

Published by Anushka Chauhan on

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण, लक्षण और इलाज – Nephrotic Syndrome in Hindi

आजकल लोगों को कई तरह की बीमारियां होने लगी हैं, जो शारीरिक परेशानी के साथ ही मानसिक चिंता भी देती हैं। ऐसी ही एक समस्या नेफ्रोटिक सिंड्रोम भी है। यह परेशानी कई सारे कारणों से हो सकती है और फिर धीरे-धीरे अन्य बीमारियों को जन्म देती है। ऐसे में समय रहते नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज कराना जरूरी है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण के साथ ही नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण और इलाज की जानकारी दे रहे हैं।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम क्या है – What is Nephrotic Syndrome in Hindi

नेफ्रोटिक सिंड्रोम कई लक्षणों का समूह है। इसमें पेशाब में अधिक प्रोटीन निकलना, रक्त में प्रोटीन का निम्न स्तर, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च ट्राइग्लिसराइड, रक्त के थक्का जमने का जोखिम और सूजन की समस्या शामिल है। यह सिंड्रोम किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली कई तरह की बीमारियों के कारण हो सकता है। किडनी को नुकसान पहुंचने पर पेशाब के माध्यम से अधिक मात्रा में प्रोटीन निकलता है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण – Symptoms of Nephrotic Syndrome in Hindi

नेफ्रोटिक सिंड्रोम की समस्या होने पर कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। नेफ्रोटिक सिंड्रोम के लक्षण कुछ इस तरह हैं:

  • सूजन, यह शरीर के किसी भी भाग में हो सकती है
  • त्वचा पर लाल चकत्ते या घाव होना
  • पेशाब का झागदार दिखाई देना
  • भूख कम लगना
  • वजन का बढ़ना
  • दौरे पड़ना

नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण और जोखिम कारक – Causes and Risk Factor of Nephrotic Syndrome in Hindi

बच्चों में यह समस्या होने का मुख्य कारण मिनिमल चेंज डिजीज है।बड़ों में इस सिंड्रोम की प्रमुख वजह मेम्ब्रनोउस ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Membranous glomerulonephritis) को माना गया है। इन दोनों ही स्थितियों में किडनी में मौजूद ग्लोमेरुली (छोटी रक्त वाहिकाओं के समूह) को नुकसान पहुंचता है। ग्लोमेरुली का मुख्य काम पेट में मौजूद अपशिष्ट और तरल पदार्थों को फिल्टर करना है। इनके अलावा, नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण और जोखिम कुछ इस प्रकार हैं।

  • किडनी की समस्या
  • मधुमेह की समस्या
  • लुपस, एक तरह की सूजन की समस्या
  • अमीलॉइडोसिस, शरीर के अंगों में अमाइलॉइड प्रोटीन का असामान्य तरीके से बनना
  • संक्रमण, जैसे एचआईवी/एड्स,हेपेटाइटिस बीऔर हेपेटाइटिस सी
  • एलर्जिक रिएक्शन की समस्या
  • कुछ दवाएं, जैसे नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाई
  • ऐसी आनुवांशिक बीमारी, जिससे किडनी पर असर पड़े

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नेफ्रोटिक सिंड्रोम का निदान – Diagnosis of Nephrotic Syndrome in Hindi

नेफ्रोटिक सिंड्रोम की जांच के लिए विशेषज्ञ कई तरह के परीक्षण करने के लिए कह सकते हैं। इसके निदान के तरीके में ये शामिल हैं।

  1. शारीरिक परीक्षाण –किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए सबसे पहले फिजिकल एग्जामिनेशन यानी शारीरिक परीक्षण किया जाता है। इस दौरान व्यक्ति में दिखाई देने वाले लक्षण पर गौर करके समस्या का पता लगाया जा सकता है।
  2. रक्त और पेशाब की जांच –नेफ्रोटिक सिंड्रोम की इस जांच के दौरान मरीज के रक्त या पेशाब के सैंपल की जांच की जाती है। इस टेस्ट से रक्त या पेशाब में मौजूद तत्व के जरिए समस्या का पता लगता है। इसके लिए ब्लड केमिस्ट्री टेस्ट, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट, क्रिएटिनिन ब्लड टेस्ट, क्रिएटिनिन यूरिन टेस्ट और यूरिनलिसिस आदि टेस्ट किए जा सकते हैं।
  3. अल्ट्रासाउंड टेस्ट –इस परीक्षण की मदद से शरीर के आंतरिक अंग को हुए नुकसान का पता चल सकता है। इस टेस्ट में अन्य अंगों के साथ ही किडनी संबंधित समस्या की जानकारी मिलती है। इससे व्यक्ति को नेफ्रोटिक सिंड्रोम है या नहीं, यह स्पष्ट हो जाता है।
  4. रेनल बायोप्सी –नेफ्रोटिक सिंड्रोम का निदान करने का एक तरीका रेनल बायोप्सी भी है।इस परीक्षण के लिए किडनी से कुछ ऊतकों का सैंपल लिया जाता है, जिसकी लैब में जांच होती है। बायोप्सी से नेफ्रोटिक सिंड्रोम का सटीक कारण पता चल सकता है।

नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज – Treatment of Nephrotic Syndrome in Hindi

अगर मन में ख्याल आ रहा है कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम इलाज संभव है या नहीं, तो बता दें कि नेफ्रोटिक सिंड्रोम का आयुर्वेदिक इलाज और एलोपैथिक उपचार दोनों हो सकते हैं। नीचे हम डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले एलोपैथिक उपचार की जानकारी दे रहे हैं:

  1. ब्लड प्रेशर की दवाई –नेफ्रोटिक सिंड्रोम के इलाज मेंरक्तचाप संतुलन की दवाईमदद कर सकती है। दरअसल, रक्तचाप को 130/80 mm Hg तक रखने से किडनी की क्षति को धीमा किया जा सकता है।इसके लिए एंजियोटेंसिन-कंवर्टिंग एंजाइम (ACA) इनहिबिटर या एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (ARB) का ज्यादा उपयोग किया जाता है। एसीई इनहिबिटर और एआरबी पेशाब के जरिए होने वाले प्रोटीन लॉस को भी कम कर सकते हैं।
  2. इम्यून सिस्टम सप्रेशन दवाई –इस समस्या के इलाज के लिए इम्यून सिस्टम सप्रेशन दवाई का उपयोग किया जा सकता है, जो एक्टिव प्रतिरक्षा प्रणाली को शांत रख सकती है। इसके लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स और अन्य इम्यून सप्रेशन दवाई लेने की सलाह डॉक्टर दे सकते हैं।
  3. कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाई –नेफ्रोटिक सिंड्रोम से प्रभावित हृदय और रक्त वाहिकाओं की समस्याओं को कम करने में उच्च कोलेस्ट्रॉल का इलाज भी मददगार हो सकता है। ऐसे में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने के लिए स्टैटिन दवा को इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
  4. वॉटर पिल्स (ड्यूरेटिक)-  इस दवाई को लेने पर नेफ्रोटिक सिंड्रोम के कारण हुए हाथ पैर की सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है। इससे नेफ्रोटिक सिंड्रोम की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है।
  5. ब्लड थिनर –नेफ्रोटिक सिंड्रोम में ब्लड क्लॉट की समस्या हो सकती है, जिसे ठीक करने के लिए ब्लड थिनर दवाई का उपयोग कर सकते हैं। इससे रक्त में थक्के जमने से रोका जा सकता है।

नोट :किसी भी दवाई को बिना डॉक्टर के परामर्श के उपयोग में नहीं लाना चाहिए। ऐसा करने से समस्या और बढ़ सकती है।

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नेफ्रोटिक सिंड्रोम से होने वाली जटिलताएं – Complications of Nephrotic Syndrome in Hindi

नेफ्रोटिक सिंड्रोम का इलाज समय रहते किया जाए, तो इससे होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। इससे होने वाली जटिलताएं कुछ इस प्रकार हैं:

  • एक्यूट किडनी फेलियर
  • धमनियों का सख्त होना और हृदय संबंधित रोग बढ़ना
  • क्रोनिक (लंबे समय तक) किडनी संबंधी बीमारी
  • शरीर में फ्लूइड यानी द्रव का बढ़ना, हार्ट फेल होना, फेफड़ों में द्रव का निर्माण होना
  • इंफेक्शन, जैसे- श्वसन नली में होने वाली सूजन (न्यूमोकोकल निमोनिया)
  • कुपोषण का शिकार होना
  • ब्लड क्लॉट, जो थ्रोम्बोसिस (नस में रक्त के थक्के जमने) का कारण बन सकता है
  • उच्च रक्तचाप की समस्या

नेफ्रोटिक सिंड्रोम में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं – Diet in Nephrotic Syndrome in Hindi

नेफ्रोटिक सिंड्रोम को बढ़ाने और कम करने में खाद्य पदार्थ की भी अहम भूमिका हो सकती है। इसी वजह से सही खान पान जरूरी है। कुछ लोग खानपान को नेफ्रोटिक सिंड्रोम का आयुर्वेदिक इलाज भी मानते हैं। ऐसे में हम नीचे नेफ्रोटिक सिंड्रोम में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए, ये बता रहे हैं:

क्या खाना चाहिए :

  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम की स्थिति में विटामिन डी से समृद्ध आहार, जैसे- टूना, सैल्मन मैकेरल मछली और मशरूम ले सकते हैं।
  • इस समस्या में कम फैट, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम और कम प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों को अच्छा माना जाता है।
  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति आहार विशेषज्ञ की सलाह पर हरी सब्जी, फल और जूस का सेवन कर सकते हैं।

क्या नहीं खाना चाहिए :

  • इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अधिक सोडियम वाले खाद्य पदार्थ, जैसे- नमक, दूध, चुकंदर और अजवाइन आदि के सेवन को कम करना चाहिए।
  • अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे- मांस, डेयरी उत्पाद, नट्स, अनाज और बीन्स का उपयोग कम करें।
  • उच्च फैट और कोलेस्ट्रॉल वाले खाद्य पदार्थ का सेवन कम करें। इन खाद्य पदार्थ में अंडे की जर्दी, मांस और चीज़ शामिल हैं।
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