खसरा (Measles) रोग: लक्षण, कारण और उपचार

Published by Anushka Chauhan on

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खसरा (Measles) रोग: लक्षण, कारण और उपचार

बदलते मौसम के कारण वायरल इंफेक्शन का ख़तरा बढ़ने लगता है। वायरल इंफेक्शन के कारण लोगों को सर्दी, जुकाम, बुखार से लेकर कई अन्य गंभीर समस्याएं तक देखने को मिल सकती हैं। वायरल इंफेक्शन सामान्य से लेकर गम्भीर तक हो सकते हैं। खसरा भी एक ऐसा ही वायरल इंफेक्शन है जो गंभीर की श्रेणी में आता है। खसरा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकता है। यदि बात करें बच्चों की तो बड़ों की अपेक्षा यह बच्चों को अपनी चपेट में ज़्यादा लेता है। तो आइए अपने इस लेख की शुरुआत करते हैं।

Measles

खसरा की बीमारी क्या है?

खसरा को एक संक्रामक रोग है जो वायरस के कारण जन्म लेता है। खसरे का वायरस पीड़ित व्यक्ति की लार, सांस, और बलगम में पाया जाता है। जब संक्रमित व्यक्ति खॉंसता है तो वायरस उसकी लार और बलगम के साथ वातावरण में फैल जाते हैं। यदि कोई सामान्य व्यक्ति इन कणों के संपर्क में आ जाता है तो खसरे का वायरस उस व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है और खसरे का संक्रमण उत्पन्न कर देता है।

खसरे का वायरस श्वसन तन्त्र पर भी आक्रमण करता है और उसे संक्रमित कर देता है। ये रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाता है। अब तक हुए वैज्ञानिक शोधों के आधार पर इस बात की पुष्टि हुई है कि खसरा सिर्फ़ मनुष्यों को होने वाली बीमारी है। ये संक्रमण मनुष्यों के अलावा अन्य किसी भी जीव में नहीं फैलता। पूरे विश्व में कुल 24 प्रकार के खसरे देखे जा चुके हैं। बात करें यदि वर्तमान की तो आज खसरा पूर्णता ख़त्म नहीं हुआ है लेकिन ये एक बड़ी मात्रा में विश्व से लोप हो चुका है। आज सिर्फ़ 6 आनुवंशिक प्रकार के खसरे ही विश्व में पाए जाते हैं।

खसरे से संक्रमित होने के पश्चात ये संक्रमण चार चरणों में पूर्ण होता है जो निम्नवत है-

  • इन्क्यूबेशन पीरियड

खसरे का सबसे प्राथमिक चरण ऊष्मायन चरण होता है जिसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं। ये एक ऐसी समयावधि होती है जब कोई व्यक्ति खसरे के वायरस के संपर्क में आता है। इन्क्यूबेशन पीरियड के 10-14 दिन बाद खसरे के लक्षण देखने को मिलते हैं।

  • प्रोड्रोमल कैटरल पीरियड

ये खसरे के संक्रमण का द्वितीय चरण है। इस चरण में खसरे के आरंभिक लक्षण जैसे बुखार, ख़ासी, कंजंक्टिवाइटिस, घबराहट इत्यादि दिखाई देते हैं।

  • रैश पीरियड

रैश पीरियड खसरे के संक्रमण का तृतीय चरण है जिसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर लाल और चपटे रैश या दानें दिखाई देते हैं। इस चरण में पहले की अपेक्षा बुखार की तीव्रता बढ़ जाती है।

  • रिकवरी फ़ेज़

ये खसरे के संक्रमण का चौथा तथा आख़िरी चरण होता है। यहाँ पर ध्यान देने योग्य बात ये है कि रिकवरी फ़ेज़ में खसरे के संक्रमण से छुटकारा तो प्राप्त होता है लेकिन इस फ़ेज के लिए खसरे के संक्रमण का इलाज पहले के चरणों में ही शुरू कर दिया जाता है।

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खसरे के लक्षण

  • सामान्य तीव्रता से अधिक का बुखार आना
  • गले में ख़राश उत्पन्न होना तथा लगातार बनी रहना
  • सूखी खाँसी आना
  • त्वचा पर लाल धब्बे और चकत्ते बन जाना
  • लगातार नाक बहना
  • कोप्लिक स्पॉट बनना (गाल के अंदर के हिस्से में नीले सफ़ेद रंग के दानें उभरना।)
  • आँखों में सूजन होना (इसे कंजंक्टिवाइटिस भी कहते हैं)

खसरे के संक्रमण का कारण

  • विटामिन ए की कमी

यदि किसी व्यक्ति के शरीर में विटामिन ए की कमी होती है तो ऐसे में ना सिर्फ़ खसरे के संक्रमण का ख़तरा बढ़ता है बल्कि लक्षणों की जटिलता भी ज़्यादा हो जाती है।

  • गर्भावस्था में

गर्भावस्था के दौरान एक गर्भवती स्त्री के शरीर में अनेक हार्मोनल बदलाव आते रहते हैं। गर्भावस्था के दौरान भी खसरे के संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।

  • टीकाकरण का अभाव

ऐसे लोग जिन्होंने खसरे का टीका नहीं लगवाया है उनके सामान्य लोगों की अपेक्षा खसरे के संक्रमण से ग्रस्त होने की संभावना ज़्यादा हो जाती है।

  • पाँच साल से कम के बच्चे

कम उम्र के लोगों में खसरे का संक्रमण अधिक प्रभाव डालता है। 5 साल से कम के बच्चों में खसरे का संक्रमण होने की आशंका काफ़ी ज़्यादा हो जाती है। खसरे का संक्रमण बड़ों की अपेक्षा छोटे बच्चों को ज़्यादा होता है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि 20 साल तक के लोगों में खसरे के संक्रमण की आशंका बड़े लोगों की अपेक्षा ज़्यादा होती है।

  • अंतरराष्ट्रीय यात्राएं करना

उन देशों में जहाँ पर खसरे के संक्रमण ने अभी भी लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है वहाँ पर यात्राएं करने से वो संक्रमण एक सामान्य व्यक्ति को भी लगा सकता है।

  • कमज़ोर इम्यून सिस्टम होने पर

यदि किसी व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यून सिस्टम कमज़ोर है तो ऐसे में व्यक्ति को कई बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी खसरे का संक्रमण भी हो सकती है।

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खसरे की जाँच

किसी व्यक्ति को खसरा है या नहीं इसके लिए खसरे की जाँच निर्धारित की गई है। यदि आपको खसरे से सम्बंधित लक्षण अपने शरीर में दिखाई दे रहे हैं तो ऐसे में तुरंत आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर न सिर्फ़ उन लक्षणों के बारे में पूछकर बल्कि त्वचा पर बनने वाले लाल धब्बों का मूल्यांकन करके इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि व्यक्ति को साधारण फ्लू है या फिर खसरे का संक्रमण। यदि लक्षणों के आधार पर पुष्टि करना मुश्किल लग रहा है तो ऐसे में डॉक्टर रोगी को ब्लड टेस्ट करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। इससे खसरे के संक्रमण की गंभीरता के स्तर का पता लगाया जा सकता है।

खसरे का उपचार

खसरे का कोई विशेष उपचार नहीं उपलब्ध है लेकिन टीकाकरण के माध्यम से खसरे के संक्रमण को रोकने का प्रयास किया जाता है। बच्चे को नौ महीने की उम्र पर पहला के खसरे का टीका दिया जाता है। इस टीकाकरण के माध्यम से बच्चे के शरीर में खसरे के संक्रमण से लड़ने के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होती है। खसरे का कोई इलाज नहीं है ।

यदि कोई व्यक्ति खसरे से संक्रमित होता है उसका लक्षण के अनुसार इलाज किया जाता है ।

संक्रमण के पश्चात टीकाकरण

यह एक प्रकार का पोस्ट इन्फेक्शन वैक्सीनेशन होता है। इसका अर्थ ये है कि ये उपचार संक्रमण के पश्चात टीकाकरण करके दिया जाता है। वायरस के संपर्क में आने के 72 घंटों के भीतर यह टीकाकरण किया जाता है। इससे संक्रमण की तीव्रता को घटाया जाता है।

कन्क्लूजन

खसरे का संक्रमण होने पर बिना देर किए डॉक्टर से मिलना आवश्यक है। यदि आपको किसी भी प्रकार के लक्षण शरीर में दिखाई देते हैं तो ऐसे में इन्हें अनदेखा न करें। ये लक्षण और अधिक गंभीर हो सकते हैं और आपको नुक़सान पहुँचा सकते हैं इसलिए डॉक्टर के परामर्श के अनुसार इनका उपचार करना आवश्यक है।

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