क्या है त्रिदोष | kya hai tridosh
kya hai tridosh
त्रिदोष (Tridosh)
त्रिदोष (Tridosh) यानि वात,पित्त और कफ जो आयुर्वेद की अद्भूत खोज है और वैज्ञानिक सिद्धांत से भी पूर्ण है। यदि त्रिदोष समावस्था में है तो शरीर स्वस्थ होगा और विषमावस्था में है तो अस्वस्थ होगा। त्रिदोष के असंतुलन से बचने के लिए ऋतुचर्या, दिनचर्या, आहार-विहार का पालन आवश्यक है। आयुर्वेद में परहेज पालन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण दिया गया है जिसे आधुनिक डॉक्टर भी अब सबसे ज्यादा महत्व देने लगे हैं।
भारत में वात रोग का प्रतिशत सबसे ज्यादा है क्योंकि भारत की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है। इसके बाद पित्त और कफ का प्रतिशत है। सुबह वात अधिक होता है, दोपहर में पित्त हावी होता है और शाम को कफ की अधिकता होती है।
निरोग का अर्थ है शरीर, मन और चित्त से स्वस्थ। ऐसा वात, पित्त, कफ तीनों के सम होने की स्थिति में ही संभव है। सम का अर्थ है जितना वात चाहिए, जितना कफ चाहिए और जितना पित्त चाहिए उतना ही है। किसी एक की भी अधिकता या कमी रोग का कारण बनता है।
वात/वायु का स्थान है जो कमर से पैर के अंगूठे तक, पित्त का स्थान कमर से छाती तक और कफ का स्थान छाती से सिर तक है। स्वस्थ रहने की दृष्टि से ये तीनों अपने-अपने स्थान से हिलने नहीं चाहिए अर्थात सब अपने-अपने क्षेत्र में रहने चाहिए और इनकी मात्रा में असमानता नहीं आनी चाहिए।
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