नवग्रह वाटिका और इसका महत्व – Navgrah Vatika and its Importance

Published by Aahar Chetna on

भारतीय ज्योतिष मान्यता में ग्रहों की संख्या 9 मानी गयी है।

ऐसी मान्यता है कि इन ग्रहों कि विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति का विभिन्न मनुष्यों पर विभिन्न प्रकार का प्रभाव पड़ता है, ये प्रभाव अनुकूल और प्रतिकूल दोनों होते हैं।

               नवग्रह मंडल के ग्र्हानुसार वनस्पतियों की स्थापना करने पर वाटिका की स्थिति निम्नानुसार होगी

केतु वृहस्पति बुध
कुश पीपल लटजीरा
शनि सूर्य शुक्र
शामी आक गूलर
राहु मंगल चन्द्र
दूब ख़ैर ढाक

नवग्रह वृक्षों की स्थपना में संभवतः इसी स्थिति क्रम का उपयोग करना सर्वाधिक उचित होगा । 

नवग्रह वनस्पतियों की पहचान स्वरूप विशिष्ट गुण निम्नप्रकार है:

आक (मदार)          

यह 4 से 8 फुट ऊचई वाला झाड़ीनुमा पौधा है।यह प्राय: निर्जन बंजर भूमि पर पाया जाता है । इसके किसी भाग को तोड़ने पर उससे सफेद रंग का दूधिया पदार्थ निकलता है। इसका पुष्प लालिमा लिये सफेद होता है, फल मोटी फली के रूप मे पत्तों के वर्ण का होता है । बीज रोयेंदार होते है ।

 ढाक (पलाश)

यह मध्यम ऊचाई का वृक्ष है । इसकी विशिष्ट पहचान इसके तीन पत्रकों वाले पत्ते हैं जिसका उपयोग पत्तल, दोना आदि बनाने मे किया जाता है । पुष्प केसरिया लाल रंग के होते हैं जो फरवरी मार्च मे उगते हैं ।

खादिर (ख़ैर)  

यह समान्य ऊचई का रुक्ष –प्रकृति का वृक्ष है । समान्यतः नदियों के किनारे की रेतीली शुष्क भूमि पर प्रकृतिक रूप से उगता है । पत्तियाँ बबूल सदृश छोटे –छोटे पत्रकों से बनी होती है । फल फली के रूप में होता है ।

अपामार्ग (लटजीरा)

यह 3 फुट ऊचई का छोटा झाड़ीनुमा पौधा हैइसके पुष्प व फल कंटेदार होते हैं तथा संपर्क में आने पर चिपक जाते हैं ।

पीपल 

यह अतिशय ऊंचाई वाला विशालकाय वृक्ष है । पत्ते हृदयकार तथा चिकने होते हैं ।

औडंबर (गूलर­) 

यह अछी ऊचई वाला वृक्ष है । पत्ते चारापनी के रूप मे प्रयोग किये जाते हैं । फल गोल तथा वृक्ष पर गुच्छों के रूप में लगते हैं । कच्चे फल हरे तथा पकने पर गुलाबी लाल रंग के हो जाते हैं जिन्हे पशु –पक्षी रुचि से खाते हैं ।

शमी (छयोकर) 

यह एक माध्यम ऊचई वाला बबूल सदृश वृक्ष है । सामान्यतः यह शुष्क बीहड़ भूमि पर पाया जाता है।

दूर्वा (दुव)

यह सबसे सामान्य रूप से पायी जाने वाली घास है जो प्राय: अछी भूमि पर उगती है तथा ‘लेमन-ग्रास’ के नाम से ख्याति प्राप्त है । हवन यज्ञादी मेन यह घास प्रयोग में आती है।

कुश (कुश)

यह शुष्क बंजर भूमि मे उगने वाली अरुचिकर घास है जिससे पुजा की ‘आसनी’ बनायी जाती है तथा यज्ञीय कार्यो मे इसकी ‘पवित्री’ पहनते है।

रोपण स्थल पर उपरोक्त वनस्पतियों के बीच की दूरी इनके छत्र के अनुसार तथा उपलब्ध स्थान के अनुसार रखी जा सकती है ।

नव ग्रह वनस्पतियों की सूची
क्र॰ सं॰ ग्रह संस्कृत नाम स्थानीय हिन्दी नाम वैज्ञानिक नाम
1 सूर्य अक्र आक कैलोट्रोपिस प्रोसेरा
2 चन्द्र पलाश ढाक ब्यूटिया मोनोस्प्र्मा
3 मंगल खादिर एखैर अकेसिया कटेचू
4 बुध अपामार्ग चिचिड़ा एकीराइन्थीज़ एस्पेरा
5 वृहस्पति पिप्पल पीपल फाइकस रिलीजिओसा
6 शुक्र औडंबर गूलर फाइकस ग्लोमेरेटा
7 शनि शामी छयोकर प्रोसोपिस सिनरेरीय
8 राहू दुर्व्वा दूब साइनोडोन डैक्टिलोन
9 केतू कुश कुश डेस्मोस्टेकिया बाइपीननेटा


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