एचआईवी और एड्स

Published by Anushka Chauhan on

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एचआईवी और एड्स

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HIV वायरस क्या है?

HIV एक प्रकार का वायरस होता है जो इम्यून सिस्टम को कमज़ोर कर देता है। HIV का फ़ुल फ़ार्म ह्यूमन इमुनोडेफिशियेन्सी वायरस (Human Immunodeficiency virus) होता है।

HIV शरीर में मौजूद CD4 कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है। CD4 कोशिकाओं को T सेल या T कोशिका भी कहा जाता है। ये एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं।

समय बीतने के साथ HIV वायरस जैसे जैसे CD4 या प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नष्ट करता जाता है, वैसे वैसे शरीर कई बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है।

 

एचआईवी/HIV के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-

 

1.) खून के द्वारा

यदि किसी HIV पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी नॉर्मल व्यक्ति को डोनेट किया जाता है या चढ़ाया जाता है तो ऐसे में नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में HIV वायरस प्रवेश कर जाता है।

 

2.) सीमेन या वीर्य के द्वारा

यदि किसी HIV पीड़ित व्यक्ति का सीमेन किसी नार्मल स्त्री के शरीर में जाता है तो ऐसे में HIV का संक्रमण हो सकता है।

 

3.) स्तनपान के द्वारा

HIV पीड़ित माता के दूध में HIV वायरस मौजूद होता है। यदि HIV पीड़ित माता अपने शिशु को स्तनपान कराती है तो शिशु को HIV का संक्रमण हो जाता है।

 

4.) योनि या वेजाइनल तरल के द्वारा

महिलाओं की योनि में एक चिपचिपा तरल पदार्थ पाया जाता है। यदि महिला HIV पीड़ित है तो इस तरल पदार्थ में HIV वायरस मौजूद होता है। ऐसे में यदि महिला किसी पुरुष के साथ संबंध बनाती है तो उस पुरुष को भी HIV होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

 

5.) असुरक्षित यौन संबंधों के द्वारा

चूँकि HIV से पीड़ित व्यक्ति के खून, सीमेन और वेजाइनल फ्लूड में HIV वायरस मौजूद होता है। ऐसे में यदि असुरक्षित यौन संबंध स्थापित किए जाएं तो HIV संक्रमण के चान्सेस बढ़ जाते हैं।

उपरोक्त दिए गए कारणों से HIV वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होता है।

एचआईवी/HIV वायरस हवा, पानी या भोजन के द्वारा नहीं फैलता। इसके साथ ही एचआईवी/HIV पीड़ित व्यक्ति के साथ उठने-बैठने, हाथ-मिलाने, खाने-पीने से एचआईवी/HIVवायरस नहीं फैलता।

 

HIV का कोई इलाज क्यों नहीं है?

HIV वायरस से बचाव करना ही इसका एकमात्र इलाज है। एचआईवी/HIV वायरस के लिए अब तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं खोजी जा सकी है।

दरअसल HIV वायरस व्यक्ति की DNA कोशिकाओं में प्रवेश कर जाता है। इस प्रकार यह उस व्यक्ति के साथ एक मज़बूत संबंध बना लेता है जिसके लिए फिर कोई दवा या वैक्सीन काम नहीं करती।

साइंटिस्ट और डॉक्टर HIV का इलाज खोजने के लिए रिसर्च कर रहे हैं।

HIV से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह कहा जाता है कि वह ज़्यादा समय तक जीवित नहीं रहेगा लेकिन आज मेडिकल साइंस ने काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है तथा उसने यह तरीक़ा खोज निकाला है कि इस वायरस के साथ भी रोगी को एक लंबा जीवन दिया जा सके।

एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी के द्वारा HIV वायरस से पीड़ित व्यक्ति को कई सालों तक और जीवनदान दिया जा सकता है।

हालाँकि HIV के लिए अब तक कोई दवा या वैक्सीन नहीं बनी है लेकिन HIV पीड़ित व्यक्ति का थेरेपीज के ज़रिए उपचार संभव है। इस उपचार के द्वारा व्यक्ति के शरीर से HIV वायरस तो नहीं हटाया जा सकता लेकिन फिर भी उसके जीवन की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है।

यदि HIV पीड़ित व्यक्ति की कोई थैरेपी न दी जाए तो ऐसे में वो व्यक्ति कई गंभीर समस्याओं को शरीर में जन्म दे सकता है जिनमें से एक महत्वपूर्ण समस्या का नाम एड्स है।

हर वो व्यक्ति जिसे HIV है उसे एड्स होगा यह ज़रूरी नहीं है। यदि HIV के लिए समय समय पर थैरेपी अप्लाई की जा रही है तो ऐसे में व्यक्ति एड्स से बच सकता है।

HIV से संक्रमित होने के बाद किसी भी तरह की कोई थेरेपी या मेडिकल चिकित्सा ना लेने पर व्यक्ति को एड्स हो जाता है जिसके बाद व्यक्ति मात्र 2-3 सालों तक ही जीवित रह सकता है।

एक शोध में इस बात का ख़ुलासा किया गया है कि अमेरिका में मौजूद लगभग 12 लाख लोग अभी के मौजूदा हाल में HIV से संक्रमित हैं। इनमें से हर 7 में से एक व्यक्ति को यह तक नहीं पता कि उसे इस तरह का कोई वायरस का संक्रमण भी है।

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एड्स(AIDS) क्या है?

जैसा कि हमने बताया कि एड्स एक प्रकार की बीमारी है जिसमें व्यक्ति के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर हो जाता है।

HIV से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में CD4 सेल्स या कोशिकाएं कम होना शुरू हो जाती हैं। शोध के अनुसार इस बात का ख़ुलासा किया गया है कि एक स्वस्थ वयस्क के शरीर में लगभग 500-1600 पर क्यूबिक मिलीमीटर CD4 कोशिकाएं पाई जाती हैं।

HIV पीड़ित ऐसा व्यक्ति जिसके शरीर में CD4 कोशिकाओं का स्तर 200 पर क्यूबिक मिलिमीटर हो जाता है तो उसे एड्स से पीड़ित माना जाता है।

एड्स का कारण सिर्फ़ HIV ही नहीं होता बल्कि कई बीमारियों में एड्स की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

एड्स एक प्रकार की स्थिति है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है जिससे कि शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति कैंसर जैसी भयानक बीमारी से पीड़ित है तो उसके शरीर में भी एड्स हो सकता है अर्थात उसका प्रतिरक्षा तंत्र कमज़ोर हो सकता है लेकिन यह एक दुर्लभ स्थिति होती है।

आज के समय में एड्स का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है और यदि एड्स का पता न चले या किसी प्रकार की कोई मेडिकल थैरेपी न दी जाए तो ऐसे में व्यक्ति के जीवन के चांसेस मात्र 2-3 साल से अधिक नहीं होते।

यदि व्यक्ति के शरीर में कैंसर या कोई और घातक बीमारी हो जाती है तो ऐसे में यह अवधि और ज़्यादा घट जाती है।

एड्स का इलाज न होने के बावजूद भी कुछ एंटी-रेट्रोवायरल दवाएँ हैं जो एड्स को और घातक होने से रोकती हैं। इस प्रकार जीवन के चांसेस को बढ़ाया जा सकता है।

 

एड्स से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में निम्नलिखित बीमारियों के होने के चांसेस बढ़ जाते हैं-

1.) न्युमोनिया

2.) ट्यूबरकुलोसिस या टीबी

3.) कैंसर

4.) क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस (आंतों में पाए जाने वाले एक परजीवी के कारण होने वाली समस्या)

5.) टोक्सोप्लाज्मोसिस (मस्तिष्क से सम्बंधित समस्या जो एक परजीवी के कारण होती है)

6.) क्रिप्टोकोकस मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क को होने वाला एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन)

7.) ओरल थ्रस (मुँह और गले में होने वाला एक प्रकार का फंगल इन्फेक्शन)

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HIV और एड्स से सम्बंधित कुछ ध्यान देने योग्य बातें

 

1.) HIV से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति को यदि किसी प्रकार की कोई मेडिकल थेरेपी न दी जाए तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है और एड्स की स्टेज तक पहुँच सकती है। तो ये ज़रूरी है की HIV संक्रमित होने पर बिना झिझक डॉक्टर से परामर्श लिया जाए।

हालाँकि HIV और एड्स का कोई भी इलाज अब तक नहीं खोजा जा सका है लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि पीड़ित व्यक्ति के लिए कोई रास्ता नहीं बचा है। HIV से पीड़ित व्यक्ति को आशा नहीं छोड़नी चाहिए और उसे डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। अपनी समस्या को बिना झिझक डॉक्टर से बताएँ और इसका समाधान खोजने की कोशिश करें। इससे जीवन के चांसेस को बढ़ाया जा सकता है।

HIV से बचाव करना बेहद ज़रूरी है। इस बात का पूरा ख्याल रखें कि हमें HIV का संक्रमण न होने पाए इसलिए उन कारणों से बचें जो HIV को जन्म देते हैं।

2.) असुरक्षित यौन संबंधों को बिलकुल भी ना अपनाएँ क्योंकि ये बेहद घातक हो सकते हैं।

3.) किसी ऐसे व्यक्ति या महिला के साथ संभोग न करें जिसे पहले से ही HIV का संक्रमण है।

4.) एक से अधिक पार्टनर के साथ संभोग ना करें। इससे भी इंफेक्शन का ख़तरा बढ़ जाता है।

5.) संभोग करने से पहले पर्सनल हाइजीन पर ध्यान दें तथा अपने हाथों तथा प्राइवेट पार्ट्स को साफ़ रखें। संभोग करने के बाद भी अपने प्राइवेट पार्ट्स को पानी से धो लें ताकि किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन के ख़तरे को कम किया जा सके।

6.) संभोग के दौरान कॉन्डम का प्रयोग अवश्य करें।

और पढ़ें : खसरा (Measles) रोग: लक्षण, कारण और उपचार

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