गोटू कोला (मण्डूकपर्णी) के फायदे और नुकसान – Gotu Kola (Mandukaparni) Benefits and Side Effects in Hindi

Published by Anushka Chauhan on

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गोटू कोला (मण्डूकपर्णी) के फायदे और नुकसान – Gotu Kola (Mandukaparni) Benefits and Side Effects in Hindi

भारत में सदियों से जड़ी बूटियों का उपयोग होता आ रहा है। शरीर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी परेशानियों से बचाव व इनके लक्षण कम करने में ये प्राकृतिक औषधियां सक्षम मानी जाती हैं। इन्हीं जड़ी-बूटियों में एक गोटू कोला यानी मण्डूकपर्णी भी है। कम ही लोग इसके नाम को जानते हैं, लेकिन गोटू कोला के फायदे अनेक हैं। इनके फायदे के साथ ही अधिक उपयोग करने से होने वाले गोटू कोला के नुकसान, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।

गोटू कोला (मण्डूकपर्णी) के फायदे – Benefits of Gotu Kola in Hindi

कई तरह की स्वास्थ समस्याओं में मण्डूकपर्णी के फायदे देखे जा सकते हैं, नीचे हम इनके बारे में विस्तृत रूप से चर्चा कर रहे हैं। बस ध्यान दें कि गोटू कोला किसी भी बीमारी के उपचार में सहायक भूमिका निभा सकता है,लेकिन यह इनका सटीक उपचार नहीं है।

1. मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए

गोटू कोला दिमाग और तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाने और उनकी कार्यप्रणाली को बेहतर करने में सहायक हो सकता है। साथ ही यह ध्यान, याददाश्त और एकाग्रता को भी बढ़ा सकता है। इसके अलावा, मण्डूकपर्णी के फायदे एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी देखे जा सकते हैं, जो फ्री-रेडिकल्स का प्रभाव कम कर सकते हैं। ये फ्री-रेडिकल्स सोचने समझने की शक्ति के कमजोर होने का कारण बनते हैं। इस प्रकार गोटू कोला का उपयोग मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बढ़ाने में किया जा सकता है।

2. अल्जाइमर रोग में आराम

अल्जाइमर रोग दिमाग से जुड़ा एक विकार है। इसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है और वह खुद का भी नाम भूलने लगता है (3)। इस बीमारी में भी मण्डूकपर्णी के फायदे देख जा सकते हैं। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर रिसर्च के एक अनुसार, गोटू कोला के सेवन से अल्जाइमर रोग की वजह से खोने वाली याददाश्त को बढ़ाया जा सकता है।

गोटू कोला में मौजूद एशियाटिक एसिड को अल्जाइमर के लिए अच्छा माना जाता है। एशियाटिक एसिड के अलावा, गोटू कोला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट भी अल्जाइमर रोग से बचाने व लक्षण कम करने में सहायक होता है। दरअसल, अल्जाइमर होने पर दिमाग में बीटा-एमीलॉइड जम जाता है, जिसे गोटू कोला के एंटीऑक्सीडेंट कम कर सकते हैं।

3. चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करे

कोलकाता के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों द्वारा मिलकर की गई एक रिसर्च से पता चलता है कि गोटू कोला चिंता और अवसाद के लक्षण और उससे जुड़ी समस्याओं को कम कर सकता है। इन लक्षणों में पैनिक अटैक की समस्या यानी अचानक डर जाना या घबरा जाना, इटिंग डिसऑर्डर यानी एक बार में अत्यधिक भोजन करना, कम या बिलकुल न खाना और व्यक्तित्व में असामान्य बदलाव शामिल हैं।

इसकी वजह गोटू कोला में मौजूद एंटी-स्ट्रेस और एंटी-डिप्रेशेंट प्रभाव को माना गया है। साथ ही गोटू कोला एडाप्टोजेन यानी तनाव प्रतिरोधक की तरह कार्य करके शरीर को तनाव झेलने में मदद कर सकता है।

4. रक्तचाप नियंत्रण में गोटू कोला के फायदे

गोटू कोला के लाभ उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में हो सकते हैं । एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, इसमें उच्च मात्रा में टोटल फेनोलिक जैसा प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होता है। फेनोलिक का यह उच्च स्तर इसमें मौजूद फ्लावोनोइड (कुएरसेटिन, केमफोरोल, कैटेचिन, रुटिन, एपिगेनिन और नारिंगिन) की वजह से है। ये फ्लावोनोइड उच्च रक्त को नियंत्रित कर सकते हैं। खासकर, कुएरसेटिन फ्लावोनोइड में एंटी हाइपरटेंसिव यानी उच्च रक्तचाप कम करने वाला प्रभाव होता है।

5. सूजन कम करने में सहायक

गोटू कोला में मौजूद एशियाटिकोसाइड घटक में एंटी इंफ्लामेंटरी प्रभाव पाया जाता है, जो सूजन को कम कर सकता है। चूहों पर किए गए एक शोध में बताया गया है कि यह प्रभाव एडिमा यानी सूजन को कम करने में सकारात्मक प्रभाव दिखाता। साथ ही गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार में भी गोटू कोला का उपयोग किया जा सकता है। ऐसे में हम मान सकते हैं कि यह सूजन को कम करने में लाभकारी हो सकता है।

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6. मानसिक थकान से राहत

गोटू कोला के बारे में शोध में बताया गया है कि इसमें मौजूद उच्च औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग यह मानसिक थकान को दूर करने में किया जा सकता है। हालांकि, इसके पीछे गोटू कोला का कौन-सा गुण काम करता है, इसके बारे में विस्तृत शोध की आवश्यकता है।

7. पेट के अल्सर से आराम

पेट के अल्सर से पीड़ित लोगों को गोटू कोला का उपयोग करने से फायदे मिल सकते हैं। गोटू कोला का अर्क गैस्ट्रिक म्यूकोसा बैरियर को मजबूत और फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचा सकता है। गैस्ट्रिक म्यूकोसा बैरियर, पेट का वो प्रभाव है, जो पाचन के लिए आवश्यक गैस्ट्रिक एसिड को सुरक्षित रखता है। साथ ही गोटू कोला में एंटीअल्सर गतिविधि भी होती है, जो पेट के अल्सर के जोखिम को कम कर सकता है।

8. स्ट्रेच मार्क्स को कम करे

जर्नल ऑफ द यूरोपियन अकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरोलॉजी द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया है कि गोटू कोला से स्ट्रेच मार्क्स को कम किया जा सकता है। रिसर्च में बताया गया है कि त्वचा पर गोटू कोला का अर्क लगाने से यह स्ट्रेच मार्क्स को बढ़ने से रोक सकता है और उनके निशान को हल्का कर सकता है। यह सेल उत्पादन और फाइब्रोब्लास्ट यानी कनेक्टिव टिश्यू के सेल बढ़ाकर स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में मदद मिल सकती है।

9. घाव भरने में गोटू कोला के फायदे

प्राचीन काल से घाव भरने के लिए गोटू कोला का उपयोग किया जा रहा है। इंडियन जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज द्वारा किए एक शोध के अनुसार, इसका अर्क घाव को जल्दी भर सकता है। माना जाता है कि गोटू कोला का मरहम, जेल या क्रीम घाव पर लगाने से प्रभावित क्षेत्र पर सेल्स का उत्पादन करने में मदद मिल सकती है ।

इसके अलावा, इसमें मौजूद एशियाटिकोसाइड नामक तत्व कोलेजन को बढ़ाकर और नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण में मदद करके घाव भरने का काम कर सकता है। इस तरह मण्डूकपर्णी के फायदे घाव भरने में भी मिल सकते हैं।

10. लिवर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

गोटू कोला के फायदे लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में हो सकते हैं। दरअसल, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस लिवर डैमेज का कारण बन सकता है। एनसीबीआई ने भी चूहों पर किए गया इससे जुड़ा एक शोध प्रकाशित किया था। रिसर्च के अनुसार, गोटू कोला एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम को बढ़ाकर और इंफ्लेमेशन को कम करके हेपाटोप्रोटेक्टिव (लिवर डैमेज से बचाव) प्रभाव प्रदर्शित कर सकता है।

गोटू कोला (मण्डूकपर्णी) के नुकसान – Side Effects of Gotu Kola (Mandukaparni) in Hindi

इंडियन जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज के अनुसार, गोटू कोला में किसी प्रकार की विषाक्तता नही पाई जाती है। हां, अगर इसका सेवन अनियत्रित मात्रा में या डॉक्टरी परामर्श के बिना किया जाए, तो उपयोग करने वाले को मण्डूकपर्णी के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, जो इस प्रकार हो सकते हैं।

  • त्वचा पर एलर्जी
  • त्वचा पर जलन
  • सिरदर्द की समस्या
  • पेट खराब
  • मलती
  • चक्कर आना
  • अधिक नींद आना

नोट– गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है। साथ ही गोटू कोला के नुकसान से बचने के लिए स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को इसका उपयोग न करने की सलाह दी जाती है।

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