घेंघा के कारण, लक्षण और इलाज – Goiter Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

Published by Anushka Chauhan on

घेंघा के कारण, लक्षण और इलाज –Goiter Causes, Symptoms and Treatment in Hindi

बिगड़ी हुई दिनचर्या और अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही कई तरह के रोगों की वजह बन जाती है। ऐसा ही एक रोग है, घेंघा। अपने नियमित खान-पान पर ध्यान न देने और समय-समय पर संपूर्ण शरीर का चेकअप न करवाने के कारण हम कई बार घेंघा रोग की चपेट में आ जाते हैं। वैसे तो आपने अक्सर गोइटर व घेंघा के बारे में सुना जरूर होगा, लेकिन क्या आप सच में जानते हैं कि घेंघा रोग क्या है और घेंघा के लक्षण व कारण क्या-क्या बन सकते हैं। शायद नहीं! इसलिए, हम स्टाइक्रेज के इस लेख में घेंघा रोग से संबंधित पूरी जानकारी देंगे। साथ ही घेंघा के लिए घरेलू उपाय क्या हो सकते हैं, इस पर भी विस्तार से चर्चा करेंगे।

घेंघा क्या है? –What is Goiter in Hindi

घेंघा गले से संबंधित रोग है। इस दौरान आपके गले में थायराइड ग्रंथि (ग्लैंड) बढ़ जाती है, जिस वजह से सूजन होने लगती है। थायराइड में हुई सूजन के कारण श्वसन नली और अन्नप्रणाली पर दबाव पड़ने लगता है। इस वजह से खांसी, गले में घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई या खाना व पानी निगलने में कठिनाई हो होती है। दरअसल, आयोडीन की कमी होने की वजह से थायराइड हार्मोन आयोडीन की मात्रा पूरी करने के लिए बढ़ने लगता है, परिणामस्वरूप गले में सूजन हो जाती है। इसके अलावा थायराइड हार्मोन की कमी और अधिकता भी ग्रंथि में सूजन उत्पन्न कर सकती है। घेंघा को गलगंड के नाम से भी जाना जाता है। इसे इंग्लिश में गोइटर (Goiter) कहते हैं। गोइटर व घेंघा होने का सबसे आम कारण आयोडीन की कमी है।

घेंघा क्या है यह तो आप जान चुके हैं, अब हम आपको घेंघा के प्रकार के बारे में बताएंगे।

घेंघा के प्रकार –Types of Goiter in Hindi

घेंघा या गोइटर के प्रकार कई हैं। हम नीचे आपको इसके कुछ आम प्रकार के बारे में बता रहे हैं।

  1. साधारण घेंघा (सिंपल गोइटर)– जैसे कि आप नाम से ही जान गए होंगे कि यह एक साधारण किस्म का गोइटर है। यह घेंघा रोग थायराइड ग्रंथि के बढ़ने और आयोडीन की कमी के कारण ही होता है। यह किसी तरह का ट्यूमर या कैंसर नहीं होता है।
  2. डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर (Diffuse toxic goiter) – डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर थायराइड ग्रंथि की एक आम बीमारी है। बुजुर्ग व्यक्तियों में यह रोग अक्सर देखा जाता है। इस दौरान थायराइड ग्लैंड में काफी इजाफा होता है और अवसाद व हृदय संबंधी विकार जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इसलिए, थायरोस्टैटिक (थायराइड हार्मोन उत्पादन संबंधी) उपचार इस घेंघा के प्रकार में काम नहीं करते। ऐसे में डॉक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। डिफ्यूज टॉक्सिक गोइटर रोगियों को जीवन भर दवा लेने के साथ ही इसको लेकर सतर्क रहना पड़ता है, क्योंकि कभी भी इसकी वजह से आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है।
  3. नॉन टॉक्सिक गोइटर (Nontoxic goiter)- यह घेंघा आयोडीन की आपूर्ति व चयापचय की असामान्यताओं की वजह से होता है। इस घेंघा रोग का कारण सूजन या नियोप्लासिया (कोशिकाओं में वृद्धि/ट्यूमर) नहीं होता। घेंघा के इस प्रकार में भी थायराइड ग्रंथि में वृद्धि होती है, लेकिन इस वृद्धि के कारण थायराइड के कार्य में किसी तरह का असर नहीं होता।
  4. टॉक्सिक नोड्यूलर गोइटर (Toxic nodular goiter) – इस तरह के घेंघा की शुरुआत साधारण घेंघा रोग से होती है। यह घेंघा 55 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाओं को अधिकतर होता है। इस घेंघा रोग में भी आपकी थायराइड ग्रंथि में वृद्धि होती है। इस दौरान ग्लैंड का आकार बढ़ने के बाद वहां नोड्यूल्स (गांठ) बनने लग जाती हैं। नोड्यूल्स बनने के बाद यह अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने लगते हैं।

घेंघा के प्रकार के बाद हम आपको इसके कुछ सामान्य कारण के बारे में बताएंगे।

घेंघा के कारण –Causes of Goiter in Hindi

घेंघा क्या है यह तो आप जान चुके हैं। अब आपको इसकी रोकथाम के लिए घेंघा के कारण जानना भी जरूरी है। नीचे हम आपको घेंघा के कारण बता रहे हैं।

  • आयोडीन की कमी।
  • दवाओं का उपयोग जैसे-लिथियम, एमियोडेरोन।
  • संक्रमण।
  • धूम्रपान।
  • पर्याप्त थायराइड हार्मोन का न बनना।
  • कुछ खाद्य पदार्थ का सेवन, जैसे सोया, मूंगफली, ब्रोकली और गोभी परिवार की सब्जियां।
  • ऑटोइम्यून प्रॉब्लम (जब इम्यूनिटी खुद ही थायराइड ग्रंथि को नष्ट करने लगे)। इसमें थायराइड कैंसर, ग्रेव डिजीज (Graves’ disease), हाशिमोटो (Hashimoto), थायराइड नोड्यूल जैसी बीमारियां शामिल हैं।

घेंघा के कारण के बाद हम आपको घेंघा के लक्षण बता रहे हैं।

घेंघा के लक्षण –Symptoms of Goiter in Hindi

घेंघा की बात जैसे ही आती है, तो हर कोई यही सोचता है कि गले के आकार का बढ़ना ही इसका एकमात्र लक्षण होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। घेंघा होने के कई अन्य लक्षण भी होते हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं।

  • सांस लेने में कठिनाई
  • खांसी
  • गला बैठना
  • खाद्य व पेय पदार्थ निगलने में कठिनाई
  • थायराइड के क्षेत्र (गले के अगले हिस्से) में दर्द होना
  • थकान महसूस होना
  • गर्मी बर्दाश्त न होना
  • अधिक भूख लगना
  • पसीना अधिक आना
  • महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म
  • स्टूल (मल) का बार-बार आना
  • मासपेशियों में ऐंठन
  • घबराहट होना
  • वजन कम होना

ऊपर आप घेंघा रोग के लक्षण के बारे में जान ही चुके हैं। अब हम आपको घेंघा के लिए घरेलू उपाय क्या-क्या हो सकते हैं, यह विस्तार से बताएंगे।

घेंघा के लिए घरेलू उपाय –Home Remedies for Goiter in Hindi

Goiter

1. सेब का सिरका

सामग्री:

  • एक चम्मच सेब का सिरका
  • आधा चम्मच शहद
  • एक गिलास पानी

उपयोग का तरीका:

  • पानी को गुनगुना कर लें।
  • अब इसमें शहद और सेब का सिरका मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें।
  • मिश्रण तैयार होने के बाद इसे पी लें।
  • खाली पेट रोजाना इसका सेवन किया जा सकता है।

कैसे लाभदायक है:

सेब के सिरके का इस्तेमाल आप घेंघा की समस्या से निजात पाने के लिए कर सकते हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है कि संक्रमण के कारण घेंघा की समस्या होती है। ऐसे में सेब के सिरके में मौजूद एंटी माइक्रोबियल गुण, संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने के साथ ही उन्हें पनपने से भी रोक सकता है। इसलिए, कहा जा सकता है कि सेब के सिरके का उपयोग घर में घेंघा रोग का इलाज करने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा माना जाता है कि सिरके के इस्तेमाल से घेंघा की वजह से होने वाली सूजन को भी दूर किया जा सकता है।

2. अरंडी का तेल

सामग्री:

  • अरंडी के तेल की कुछ बूंदें

उपयोग का तरीका:

  • हथेली में अरंडी तेल की बूंदें लें।
  • अब इससे गर्दन के पूरे हिस्से की हल्की मालिश करें।
  • रोजाना रात को आप इस प्रतिक्रिया को दोहरा सकते हैं।

कैसे लाभदायक है:

घेंघा की वजह से गले में सूजन होने लगती है। ऐसे में अरंडी के तेल का उपयोग करके आप सूजन को कम कर सकते हैं। दरअसल, अरंडी के तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो घेंघे के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।

3. नारियल का तेल

सामग्री:

  • नारियल तेल की कुछ बूंदें

उपयोग का तरीका:

  • नारियल तेल की आवश्यक बूंदों को हथेली में डालें।
  • अब इससे घेंघा प्रभावित हिस्से की मसाज कर लें।
  • आप रोजाना रात को सोने से पहले इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं।

कैसे लाभदायक है:

गोइटर के इलाज के लिए नारियल तेल का भी शामिल किया जा सकता है। दरअसल, नारियल के तेल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। यह दोनों गुण थाइराइड हार्मोन के लिए आवश्यक होते हैं। घेंघा होने का कारण थाइराइण हार्मोन का न बनना भी होता है, इसलिए नारियल के तेल को इसमें फायदेमंद माना जाता है। वहीं, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन कम करने में भी मदद करता है।

4. वॉटरक्रेस(Watercress)

सामग्री:

  • मुट्ठी भर वॉटरक्रेस

उपयोग का तरीका:

  • वॉटरक्रेस को आप काटकर बतौर सलाद खा सकते हैं।
  • इसे आप अन्य सलाद या किसी व्यंजन को गार्निश करने के लिए भी उपयोग में ला सकते हैं।
  • वॉटरक्रेस का सेवन आप प्रतिदिन एक बार कर सकते हैं।

कैसे लाभदायक है:

वॉटरक्रेस को आम भाषा में जलकुंभी कहा जाता है। गोइटर के इलाज में वॉटरक्रेस भी लाभदायक साबित हो सकता है। दरअसल, गोइटर होने की सबसे आम वजह आयोडीन की कमी होती है और वॉटरक्रेस आयोडिन से समृद्ध होता है। इसलिए, इसका सेवन करने से घेंघा ठीक हो सकता है। वॉटरक्रेस को आप पेस्ट के रूप में गले पर लगा भी सकते हैं।

5. जूस रेसिपी

(क) नींबू का रस

सामग्री:

  • एक चम्मच नींबू का रस
  • लहसुन की एक कली
  • एक चम्मच शहद

उपयोग का तरीका:

  • सबसे पहले लहसुन को छिलकर पेस्ट तैयार कर लें।
  • अब इसमें नींबू का रस और शहद डालकर अच्छे से मिला लें।
  • जरूरत पड़ने पर इसमें पानी की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं।
  • अब इस मिश्रण को पी लें।
  • आप रोजाना सुबह इसे खाली पेट पी सकते हैं।

कैसे लाभदायक है:

नींबू का रस आपको घेंघा से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। दरअसल, नींबू के रस में विटामिन-सी पाया जाता है, जो एंटी इंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। यह गुण सूजन को कम करने में सहायता कर सकता है। इसके अलावा, नींबू में एंटी माइक्रोबियल गुण भी पाए जाते हैं, जो संक्रमण को फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करते हैं। इसलिए, माना जाता है कि घेंघा की वजह से होने वाले सूजन को कम करने और इंफेक्शन की वजह से होने वाले इस रोग में राहत देने में नींबू मदद कर सकता है।

sonvarsha naturopathy

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(ख) अनानास का रस

सामग्री:

  • एक चौथाई अनानास
  • एक गाजर
  • दो टमाटर

उपयोग का तरीका:

  • जूस बनाने के लिए अनानास, गाजर और टमाटर को ब्लेंड करें।
  • आवश्यकता पड़ने पर आप इसमें थोड़ा पानी भी मिला सकते हैं।
  • जूस बनने के बाद इसे ताजा पी लें।
  • प्रतिदिन आप एक गिलास जूस का सेवन कर सकते हैं।

कैसे लाभदायक है:

अनानास जूस पीने से भी आपको घेंघा से राहत मिल सकती है। अनानास में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सूजन को कम करने का काम करते हैं। साथ ही यह ग्रंथियों को नियंत्रण करने में भी मदद करते हैं, जिससे घेंघा ठीक करने में मदद मिल सकती है।

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