Brain stroke क्या है ?

Published by Aahar Chetna on

हृदय से मस्तिष्क तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त नलिकाओं में खून का थक्का जमने या रक्त संचार बाधित होने पर brain स्ट्रोक की स्थिति बनती है, अर्थात्त ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी तब होती है जब पर्याप्त मात्रा मे ऑक्सीज़न दिमाग तक नही पहुँच पाती है। ब्रेन स्ट्रोक का सही समय पर उपचार न होने पर जानलेवा भी हो सकता है। सर्दियों के दिनों में स्ट्रोक के खतरे बढ़ जाते हैं । कई बार लोग ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति को ब्रेन हेमरेज समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों ही स्थितियाँ अलग अलग होती हैं। ब्रेन स्ट्रोक की स्थिति में रक्त नलिकाएँ जाम हो जाती हैं जबकि brain हेमरेज मे रक्त नलिकाएँ (रक्त कोशिकायें ) फट जाती है। Brain स्ट्रोक की स्थिति में ऑक्सीज़न एवं रक्त हमारे brain tissue ( ब्रेन ऊतक ) में पहुँच नहीं पाते हैं, जिससे ब्रेन cells (मस्तिष्क की कोशिकाएं ) और tissue (ऊतक ) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं ओर जल्द ही खत्म होने लगते हैं। हमारा पूरा शरीर हमारे दिमाग के ही अनुसार चलता है और दिमाग पर जब कोई आघात पहुंचता है तो शरीर भी काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति मे मरीज को पूरे समय देख-रेख की जरूरत होती है। बोलने और हाथ पैर हिलाने तक के लिए थेरेपी सेशन की जरूरत पड़ती है।

Brain stroke की पहचान:

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण लोगों में अलग अलग होती हैं एवं ज़्यादातर इसके लक्षण अचानक दिखाई देते हैं। कभी कभी मरीज को पता ही नहीं चल पाता है कि वह ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हुआ है। ब्रेन स्ट्रोक के कुछ प्रमुख लक्षण:-

  • चलने मे परेशानी होना
  • अचानक से सिर दर्द का होना एवं चक्कर आना
  • एक या दोनों आँखों की क्षमता प्रभावित होना एवं दोहरी चीजें नज़र आना
  • अचानक से संवेदना शून्य हो जाना
  • चेहरे , हाथ या पैर में व विशेष रूप से शरीर के किसी एक भाग मे कमजोरी आ जाना
  • समझने या बोलने में दिक्कत होना
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न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार यदि स्ट्रोक के किसी पेशेंट को शुरुआत के 3 घंटे के अंदर इलाज मिल जाए तो स्ट्रोक के प्रभाव को पूरी तरह से बदला जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति अचानक से बेहोश हो जाता है तो स्ट्रोक की पहचान करने के लिए व्यक्ति के होश मे आने पर ये काम जरूर करने चाहिए –

  • बेहोशी से उठे व्यक्ति को स्माइल करने के लिए कहें
  • व्यक्ति से कुछ शब्द बोलने के लिए कहें
  • व्यक्ति से अपने दोनों हाथ ऊपर उठाने के लिए कहें
  • व्यक्ति को जीभ बाहर निकालने के लिए कहें ,यदि जीभ किसी एक तरफ मुड़ी हुई हो तो ये stroke के लक्षण हैं।

यदि उपर्युक्त  काम करने में व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई तकलीफ हो रही तो तो उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाना चाहिए।

Brain stroke के कारण:-

ब्रेन स्ट्रोक किसी भी उम्र में हो सकती हैं, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ इसका खतरा बढ़ने लगता है। 55 साल के बाद इसका खतरा ज्यादा बढ़ जाता है,क्यूंकि इस उम्र में शरीर की नसें सिकुड़ने लगती हैं और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण रक्त का प्रवाह भी कम होता है ,इसलिए इस उम्र के बाद  व्यक्ति को खास ध्यान रखने की जरूरत होती है । स्ट्रोक पुरुषों में ज्यादा होते हैं लेकिन स्ट्रोक से महिलाओं की मृत्यु ज्यादा होती हैं।

कुछ चीजों पर नियंत्रण करके स्ट्रोक की स्थिति से बचा जा सकता है:-

  • डायबटीज़
  • High ब्लड प्रैशर
  • बढ़ता हुआ कोलेस्ट्रॉल
  • हाइपर टेंशन
  • मोटापा
  • धूम्रपान एवं शराब
  • महिलाओं में हार्मोन का असंतुलन ।

स्ट्रोक के प्रकार:-

  • इस्कीमिक स्ट्रोक: – इस्कीमिक स्ट्रोक तब होते हैं, जब दिमाग तक रक्त पहुँचाने वाली धमनियाँ संकरी हो जाती हैं, जिसकी बजह से रक्त प्रवाह में कमी हो जाती है। लगभग 85% स्ट्रोक इस्कीमिक स्ट्रोक होते हैं और 15% ब्रेन हेमरेज के कारण। इस्कीमिक स्ट्रोक के अंतर्गत थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है। जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाले धमनियों में से किसी एक में रक्त का थक्का बनता है तो थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक पड़ता है। यह थक्का धमनियों में वसा के जमाव के कारण होता है, जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस कहा जाता है।
  • एम्बोलीक स्ट्रोक:- जब रक्त का थक्का हृदय में या शरीर के किसी दूसरे अंग में बनते हैं और धमनियों से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँच कर वहाँ की धमनी को संकरा कर देते हैं, तो इस वजह से पड़ने वाले स्ट्रोक को एम्बोलीक स्ट्रोक कहते हैं। एवं इस तरह के रक्त के थक्के को एम्बोलस कहा जाता है।
  • ट्रोंजीएंट इस्कीमिक स्ट्रोक (T.I.A):-  इसे मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है। मस्तिष्क के किसी हिस्से में कम समय के लिए रक्त की आपूर्ति में कमी होने पर टीआईए की स्थिति उत्पन्न होती है, जो 5 मिनट से भी कम समय तक के लिए रहती है।
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स्ट्रोक से बचने के उपाये: –

  • धूम्रपान एवं शराब का सेवन न करें
  • ज्यादा टेंशन न लें
  • ज्यादा तेल,मशालों का सेवन न करें
  • नमक कम खायें
  • संतुलित आहार लें
  • नियमित व्यायाम करें
  • वजन नियंत्रित रखें
  • Blood प्रैशर नियंत्रित रखें
  • ब्लड sugar नियंत्रित रखें
  • कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रखें
  • हृदय रोगी नियमित अपनी जांच करवाते रहें

जांच एवं उपचार:-

ब्रेन स्ट्रोक का कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर द्वारा कुछ जांच की जाती है जिससे पता चल सके की स्ट्रोक किस वजह से हुआ है और उसका इलाज किया जा सके। डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले जांच :-

  • खून जांच
  • Ct स्कैन
  • एमआरआई
  • कैरोटिड अल्ट्रासाउंड
  • सेरेब्रल एंजियोग्राम
  • इकोकार्डियोग्राम आदि।

इस जांच से यह पता चल जाता है कि स्ट्रोक खून का दौरा रुकने से हुआ है या धमनी के फटने से। डॉक्टर धमनियों के माध्यम से दवाइयाँ देते हैं जो मस्तिष्क में जाकर रक्त के थक्के को तोड़ देती हैं।ब्रेन स्ट्रोक का शुरुआती स्तर पर पहचान और इलाज होने से मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है।    


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