अर्थराइटिस/ गठिया (संधिवाद) को ठीक करने का घरेलू उपाय
अर्थराइटिस/ गठिया मुख्यतः वात रोग है। इस रोग में बढ़ते उम्र के साथ समस्याएँ बढ़ती जाती हैं और अंत में डॉक्टर ऑपरेशन कराने की बात कहता है। पर ऑपरेशन के बाद भी यह ठीक नहीं होता बल्कि समस्या और बढ़ जाती है। इसीलिए अर्थराइटिस के रोगियों को कभी ऑपरेशन नहीं कराना चाहिए। कुछ घरेलू उपाय और अपनी दिनचर्या (Lifestyle) को बदल कर इस रोग से मुक्ति पाया जा सकता है क्योंकि एलोपैथ चिकित्सा में इसका कोई इलाज नहीं है। तो चलिये जानते हैं कम खर्च में इस रोग का कैसे इलाज किया जाये।
जितना संभव हो सके नीचे दिये गए घरेलू उपायों को अपनाएं:-
- अर्थराइटिस के मरीज 1 दिन में 2 ग्राम चूना खा सकते हैं और स्वस्थ आदमी 1 ग्राम ही चूना खायें, दही के साथ, छांछ के साथ या पानी में मिलाकर। (नोट:- यदि पथरी कि समस्या हो तो चूने का सेवन न करें।
- छिलके सहित 1 कप लौकी का जूस+धनिये के पत्तों को रस+अदरक का रस मिलाकर सुबह-सुबह बिना कुछ खाये पिये और 45 मिनट तक कुछ भी न खाएं।
- 1 चम्मच मेथी दाना रात को गरम पानी में भिगो दें और सुबह उठते ही पानी पी लें और मेथी दाना चबा-चबा कर खा लें।
- गाय के दूध में गाय का घी मिलाकर हमेशा रात को सोने से पहले सेवन करें।
- मेथी+हल्दी+सोंठ बराबर मात्रा में पीसकर पाउडर बना लेना है और 1 चम्मच रोज सुबह खाली पेट कम से कम 2 महीने तक लेना है।
- सबसे क्षारीय है हार-शृंगार का पेड़ या पारिजात के पेड़ के पत्ते, 5 से 7 पूर्ण विकसित पत्ते की पीसकर चटनी बनानी है और 1 गिलास पानी में तब-तक उबालना है जब तक कि पानी आधा गिलास न हो जाए, उसके बाद इसे चाय कि तरह रोज सुबह खाली पेट कुछ भी खाने से 1 घण्टे पहले पीना है 15 से 20 दिन में बीमारी से आराम मिलना शुरू हो जाएगा। दोनों ही अर्थराइटिस (रिम्यूटेड और औस्टियो) के केस में 20 साल पुराने गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है। रात को हार-शृंगार के काढ़े को बना लें, सुबह पीला दें, 3 महीने तक।
- कार्टिलेज और Rh फैक्टर कि समस्याओं के लिए भी पारिजात के पत्ते का काढ़ा काम में आता है। हिप ज्वाइंटस या Knee ज्वाइंटस निकालने कि स्थिति आ गयी हो तो आज से यही दवा नियमित रूप से सेवन करें।
- अर्थराइटिस के रोगियों को कभी आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए यदि कभी मजबूरी में खा लिए तो ऊपर से गरम पानी में घी मिलाकर पी लीजिये। इससे आइसक्रीम का दुष्प्रभाव शरीर में कम होगा।
- दालचीनी+सोंठ का काढ़ा गुड़ मिलाकर जरूर पिये जिनको भी अर्थराइटिस हो। यही अस्थमा के लोग भी पी सकते हैं। रोज सुबह कुछ भी खाने से 1 घण्टे पहले सुबह-सुबह।
- मूँगफली और तिल रोज खाएं, खाना खाने के बाद तिल औए गुड़ जरूर खाएं, काला तिल मिले तो बहुत अच्छा होगा। खास कर उन लोगों के लिए जो अर्थराइटिस, अस्थमा,मोटापा और हृदयघात जैसे बीमारियों से बचना चाहते हैं। हड्डियों के किसी भी रोग के लिए चूना खाएं।
- एड़ी का दर्द और कुहनी का दर्द पानी घुंट-घुंट कर पीने से ठीक हो जाएगा।
- नियमित गौमूत्र/गौमूत्र अर्क के सेवन से भी अर्थराइटिस और वात रोग में लाभ मिलता है।
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