Alzheimer: अल्जाइमर को नजरअंदाज करना हो सकता है खतरनाक, ऐसे पहचानें

Published by Anushka Chauhan on

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Alzheimer: अल्जाइमर को नजरअंदाज करना हो सकता है खतरनाक, ऐसे पहचानें

अल्जाइमर (Alzheimer) की बीमारी एक दिमागी बीमारी है। यह डिमेंशिया की सबसे आम किस्म है जो व्यक्ति को धीरे धीरे परेशानियों व मुश्किलों की तरफ से ले जाती है। यह एक खतरनाक बीमारी है जो ज्यादातर 50 साल की उम्र के बाद ही देखने को मिलती है, परंतु ऐसा जरूरी नहीं है। कई शोध में पाया गया है कि यह बीमारी 30 या 40 साल के बाद भी शुरू हो सकती है। यहाँ तक कि आजकल ये बीमारी 30 साल से कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल जाती है।

इस बीमारी में व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। उसका खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है। 21 सितंबर को हर साल पूरी दुनिया में अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। यह इसलिए मनाया जाता है ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो जाएं और उन्हें इस बीमारी की ज्यादा से ज्यादा जानकारी हो सके।

अल्जाइमर बीमारी एक दिमागी बीमारी है। इस रोग में दिमाग के कुछ ऐसे हिस्सों पर प्रभाव पड़ता है जो व्यक्ति की सोचने, समझने, याद करने और फिक्र करने की क्षमता के साथ-साथ जबान पर काबू करते हैं। अल्जाइमर बीमारी का सबसे सामान्य प्रकार डिमेंशिया है। यह बीमारी बुजुर्ग लोगों में ज्यादा होती है, जो धीरे-धीरे याद करने और सोचने-समझने की क्षमता को खत्म कर देता है।

इस बीमारी के कारण व्यक्ति की रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाले कामों को वह आसानी से नहीं कर पाता। वैज्ञानिकों ने इस बीमारी के बारे में बहुत अध्ययन किए हैं परंतु कोई भी इस नतीजे पर नहीं पहुंच पाया कि आखिर इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण क्या है? यह एक ऑटोपैथिक रोग है।

आज के शीर्षक में हम अल्जाइमर बीमारी, उसके लक्षण और उसके कारण के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। तो आइए जानते हैं कि वे क्या हैं।

 

अल्जाइमर (Alzheimer) के लक्षण

 

1.) इस बीमारी के शुरुआती लक्षण यह होते हैं कि व्यक्ति धीरे-धीरे अपने सामान्य कामों को भूलने लगता है। लोग समझते हैं कि यह बुढ़ापे के कारण है। भूलना एक आम बात है परंतु हर चीज को भूल जाना यह एक खास विषय है। इसलिए व्यक्तियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।

2.) रोजमर्रा के कामों में परेशानियां आने लगती हैं। व्यक्ति आसानी से अपने दैनिक कार्यों को नहीं कर पाता। कार्य करने की क्षमता खत्म होने लगती है।

3.) व्यक्ति अपनी जीवनशैली की सामान्य बातों को भी धीरे-धीरे भूलने लगता है।

4.) किसी भी व्यक्ति का नाम या घर के आसपास की मशहूर जगहें या रास्ते भी भूल जाना, यह सब अल्जाइमर के लक्षण हैं।

5.) अल्जाइमर की बीमारी का एक लक्षण यह भी है कि इस बीमारी में व्यक्ति की जबान लड़खड़ाने लगती है और वह किसी भी बात को सही तरीके से नहीं कह पाता। हर बात को कहने में अटकने लगता है और अटक अटक कर ही बात करता है। उसकी जबान उसके काबू में नहीं रह पाती।

6.) किसी भी काम को या किसी भी मसले को हल करने की शक्ति व्यक्ति के अंदर नहीं रहती। वह सोचने समझने की क्षमता खो बैठता है। व्यक्ति का मस्तिष्क सही से काम नहीं करता।

7.) व्यक्ति को सामाजिक होने में परेशानी होती है। वह आसानी से लोगों से घुलमिल नहीं पाता और अकेले रहना ही पसंद करता है।

8.) अल्जाइमर के रोगियों की पर्सनालिटी में बदलाव देखने को मिलता है क्योंकि वे कंफ्यूज रहते हैं।

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अल्जाइमर के कारण

 

1.) जेनेटिक्स

वंशानुगत या जेनेटिक कारण की वजह से भी अल्ज़ाइमर की बीमारी हो सकती है। इसका सीधा सा अर्थ ये है कि परिवार के किसी सदस्य में यदि अल्ज़ाइमर की बीमारी पहले रही है तो ऐसे में आने वाली पीढ़ियों में भी ये बीमारी देखने को मिल सकती है। व्यक्ति के जीन दूसरी पीढ़ियों में जाकर इस बीमारी के लिए ज़िम्मेदार बन सकते हैं।

2.) विटामिन B 12 की कमी 

अल्ज़ाइमर बीमारी का एक कारण विटामिन बी 12 की कमी का होना भी है। जब शरीर में विटामिन B 12 की कमी होने लगती है तो ऐसे में व्यक्ति का दिमाग़ कमज़ोर होने लगता है। इससे व्यक्ति को सामान्य दैनिक क्रियाकलापों को याद रखने में परेशानी होने लगती है।

3.) नींद की कमी के कारण

शरीर को पर्याप्त आराम की ज़रूरत होती है। यदि सही से नींद के चक्र को पूरा न किया जाए तो ऐसे में व्यक्ति का मस्तिष्क या दिमाग़ कमज़ोर होना शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप अल्ज़ाइमर जैसी ख़तरनाक बीमारी भी हो सकती है।

4.) सिर में दर्द

सिर में दर्द भी अल्ज़ाइमर जैसी ख़तरनाक बीमारी का कारण हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति को लगातार सिर दर्द या माइग्रेन की समस्या है तो उसे इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।

5.) मोटापे के कारण

शरीर पर अतिरिक्त वसा के होने के कारण भी दिमाग़ की नसें कमज़ोर हो सकती है। ये अल्ज़ाइमर का कारण बन सकता है।

6.) चिंता या डिप्रेशन

चिंता, तनाव या डिप्रेशन इत्यादि मस्तिष्क के लिए बेहद ख़तरनाक होते हैं। ये दिमाग़ की नसों को सुखा सकते हैं। इससे अल्ज़ाइमर की बीमारी होने का ख़तरा बढ़ जाता है।

 

निष्कर्ष

अल्जाइमर भूलने की बीमारी (डिमेंशिया) की सबसे आम किस्म है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 55 मिलियन लोग इस भूलने की बीमारी से जूझ रहे हैं। यह बीमारी मस्तिष्क में याददाश्त को नियमित करने वाले हिस्सों को प्रभावित करती है जिसके कारण व्यक्ति का अस्तित्व, उसकी पहचान, शख्सियत, व्यवहार, उसके मिजाज यहां तक कि उसके पूरे याद करने वाले हिस्से पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।  डिमेंशिया की बीमारी के कम से कम 100 किस्में होती हैं, परंतु सबसे जानी पहचानी किस्म अल्जाइमर है। स्त्रियों में पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी होने की संभावना ज्यादा होती है।

यह बीमारी आज कल तेज़ी से लोगों में फैल रही है। ये बीमारी कंट्रोल की जा सकती है इसलिए इस बीमारी से पीड़ित लोगों को हताश होने की आवश्यकता नहीं है। यदि किसी व्यक्ति को अल्ज़ाइमर रोग है तो उसे तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

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