क्यों होता है डायबिटीज़ (मधुमेह)?
आज डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी हो गई है जो हर तीसरे व्यक्ति को हो रहा है। भारत के एक शहर दिल्ली में हुए सर्वे के अनुसार टाइप-1 डायबिटीज़ बहुत ही तेजी से फैल रहा है खासकर टाइप-1 डायबिटीज़ 20 साल तक के बच्चों में ज्यादा पाया गया है। डायबिटीज़ मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है। टाइप-1, टाइप-2 और गर्भकालीन मधुमेह (Gestational)।
टाइप-1 डायबिटीज़ :- टाइप-1 डायबिटीज़ वैसे तो बहुत ही कम लोगों को होता है, परंतु आजकल यह कम उम्र के बच्चों को भी हो रहा है।
यह एक तरह का auto-immune disorder है, जिसमें हमारे शरीर का immune system पेंक्रियाज़ पर अटैक कर देता है, जिससे पेंक्रियाज़ में मौजूद बीटा-सेल खत्म हो जाता है, जो इंसुलिन का निर्माण करता है। इस स्थिति में रोगी को बाहर से इंसुलिन लेना पड़ता है। अकसर टाइप-1 डायबिटीज़ कम उम्र में हो जाता है।
टाइप-2 डायबिटीज़:- टाइप-2 डायबिटीज़ उनलोगों में सबसे ज्यादा होता है जिनका मोटापा बढ़ा हो या फिर खाने में ज्यादा carbohydrate लेते हों या फिर ज्यादा समय बैठे रहते हों। टाइप-2 डायबिटीज़ ज़्यादातर अधिक उम्र के लोगों में होता है।
गर्भकालीन डायबिटीज़:- यह डायबिटीज़ गर्भधारण करने और उसके बाद सिजेरियन ऑपरेशन से हुए बच्चों में ज़्यादातर होता है।
ऊपरोक्त बातें आज की वर्तमान एलोपैथ चिकित्सा के आधार पर बताई गयी है।
अब आयुर्वेद के हिसाब से डायबिटीज़ रोग होने के कारण और इसकी चिकित्सा के बारे में जाने।
डायबिटीज़ मुख्यतः वात रोग है। हम जो कुछ भी मीठा खाते हैं उसमें glucose होता है जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। Glucose शरीर के लिए बहुत जरूरी भी है और खतरनाक भी। जरूरी इसलिए है की इसके बिना हम कोई कार्य नहीं कर सकते क्योंकि यह शरीर को ऊर्जा/शक्ति देता है और खतरनाक इसलिए है की यदि यह ज्यादा बढ़ जाये तो डायबिटीज़ जैसे रोगों को जन्म देता है।
हम जो कुछ भी मीठा खाते हैं उसके पाचन होने के बाद glucose बनता है जो हमारे रक्त (Blood) में जाता है। रक्त में रक्त कोशिका (Blood Cells) होती है जिसमें glucose जाकर शरीर को ऊर्जा देती है। इस glucose को ले जाने का काम इंसुलिन का होता है जो एक वाहक (Carrier) की तरह कार्य करता है। रक्त में उपस्थित रक्त-कोशिका में एक दरवाजा होता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में insulin receptor कहते हैं और इस दरवाजे का चाभी इंसुलिन होता है। जब इंसुलिन glucose को लेकर रक्त कोशिका के पास जाता है तो उसका दरवाजा खुल जाता है और glucose इंसुलिन के साथ रक्त कोशिका के अंदर चला जाता है और शरीर को तुरंत ऊर्जा देने लगता है।
यदि इंसुलिन शरीर में ठीक तरह से नहीं बनता है तो glucose रक्त में जाता तो है पर रक्त कोशिका के अंदर नहीं जा पाता, जिससे रक्त में glucose बढ़ जाता है। ऐसी अवस्था को समान्यतः डायबिटीज़/मधुमेह कहते हैं।
इंसुलिन का शरीर में असमान्य होने का कारण है cholesterol, रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL, VLDL) के बढ़ने के कारण इंसुलिन अनियंत्रित हो जाता है जिससे डायबिटीज़ होता है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं पर उनमें सबसे प्रमुख है चीनी, डालडा और रिफाइंड तेल। रिफाइंड तेल अकेला सबसे ज्यादा मौत देने वाला तेल है जो आजकल सरसों के तेल में भी मिलाकर बेचा जा रहा है।
मांस चाहे वो किसी भी जानवर का हो रिफाइंड के बाद सबसे ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसलिए किसी भी प्रकार का मांसाहार भोजन न करें।
यदि आप नहीं चाहते की आपको डायबिटीज़ हो तो रिफाइंड तेल खाना बंद कर दीजिये, इससे कोलेस्ट्रॉल की समस्या ठीक हो जाएगी और आप वात के 80 रोगों से बच जाएंगे।
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