अपस्मार (मिर्गी)

Published by Aahar Chetna on

दूध आक का लीजिए, तलवों माहि रमाय ।

दिन चालीस लगाइए, मिर्गी रोग नसाय ||

1. लहसुन की 4-6 कलियों को दूध में भिगोकर प्रतिदिन सेवन करने से थोड़े ही दिनों में इस रोग से छुटकारा मिटा है ।

2. 500 ग्राम दाल चीनी 500 ग्राम जड़वच (गुड़वच) पीसकर 1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ दें मिर्गी र्ठीक हो जायेगी। 2 माह लें।

3. गाय का बिलोने का घी नाक में रात को चार-चार बूंदे डालें ।

4. 10 ग्राम ब्राह्मी का रस, 10 ग्राम शहद मिलाकर 2 माह पीने से बहुत शीघ्र ही इस रोग से छुटकारा मिल जाता है।

5. मिर्गी के दौरे के वक्त राई पीसकर सूंघने से बेहोशी दूर हो जाती है।

6. काले तिल 10 ग्राम, लहसुन 10 ग्राम इन दोनों को मिलाकर रोज सुबह 21 दिन तक सेवन करते रहने से मिर्गी रोग नष्ट हो जाता है।

 7. मिर्गी के रोगी को बेहोशी की हालत में यदि उसकी जीभ दाँतों के नीचे आ गई हो तो उसके जबड़े को खोलकर दाँतों के नीचे मुँह में कपड़ा आदि कोई ऐसी वस्तु ठुष  देनी चाहिए जिसमें वह दाँतों को भींचकर जीभ को न काट लें।

8. आक की जड़ को बकरी के दूध में घिसकर नाक में टपकाने से मिर्गी रोग नष्ट हो जाता है। 7 दिन प्रयोग करें।

9. लहसुन को तेल में सेंककर नित्य खाना भी गुणकारी है अथवा लहसुन की 10 कलियों को नित्य दूध में उबालकर खिलाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है। (प्रयोग लम्बे समय तक करें)

10. प्रतिदिन 2 कप दूध में चौथाई कप मेहंदी के पत्तों का रस मिलाकर मिर्गी के रोगी को सेवन कराने से बहुत लाभ होता है। 2 माह लें।


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