गैंगरिन

Published by Aahar Chetna on

कुछ चोटें बहुत गंभीर हो जाती हैं। शुगर के मरीजों की चोटें जब ठीक नहीं होती हैं तो वो गैंगरिन में तब्दील हो जाती है जिसके चक्कर में उस अंग को भी काटना पड़ जाता है।

गैंगरिन का मतलब अंग का सड़ जाना। जहाँ पर नये सेल्स develop नहीं होते                                                 

गैंगरिन का इलाज एवं दवा :-

 

विधि 1 :- देशी गाय का गोमूत्र 1 कप + ½ चम्मच हल्दी + 1 देशी गेंदे का फूल।

गेंदे के फूल की पंखुड़ियाँ निकालनी है फिर उसमें हल्दी डालकर और गौमूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है। चोट के हिसाब से गेंदे के फूल की पंखुड़ियों को लेना है। जहाँ पर चोट है वहाँ पर उस चटनी को ताजा बनाकर दिन में दो बार लगाना है।



इस लेप को कई जगह उपयोग कर सकते हैं जैसे :-

  • जले हुए भाग पर
  • जो घाव नहीं भर रहा हो उस पर।
  • इस दवा को हर चोट/घाव में लगा सकते हैं।
  • जो सोराइसिस गीला है उसमें भी ये दवा काम करता है।
  • ऑपरेशन की किसी भी घाव पर लगा सकते हैं।
  • गीले एग्जीमा में भी यह बहुत काम करता है।
  • स्तन कैंसर में भी इस दवा को लगा सकते हैं।

विधि 2 :- देशी गाय का घी + विधारा के पत्ते + देशी गाय का गोबर

विधारा के पत्तों को गाय के घी के साथ मिलाकर प्रभावित घाव पर लगाना है। इस दावा को 24 घंटे मे 2 से 3 बार लगाना है। सुबह में प्रभावित जगह के 6 इंच ऊपर तक ताजा गोबर का मोटा लेप लगाएँ। गोबर घाव के विष को खिचता है।

नोट:- ऊपर दिये दोनों विधि पूर्ण रूप से आजमाई हुई है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इससे संबन्धित सवाल हो तो comment बॉक्स में लिखें।

धन्यवाद !

 

Categories: इलाज

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